मनीष सिसोदिया के हाथों सम्मानित होकर जाने लगे जावेद अख्तर तो कहा- पांच लाख लिए हैं तो बोलना भी पड़ेगा
दिल्ली सरकार ने साल 2017-18 के शलाका सम्मान से मशहूर गीतकार और पटकथा लेखक जावेद अख्तर को नवाजा है। ये सम्मान दिल्ली सरकार द्वारा दिया जाने वाला सर्वोच्च साहित्य सम्मान है। इस बार पुरस्कार को देने के लिए मंच पर दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, समाज कल्याण मंत्री राजेंद्र पाल गौतम, हिंदी अकादमी के उपाध्यक्ष विष्णु खरे, पोलैंड के भारत में राजदूत एडम ब्रोकॉस्की मौजूद थे। इसके बाद भी यह कार्यक्रम गफलत का शिकार हो गया।
जब नाराज हुए अख्तर: दैनिक जागरण में प्रकाशित खबर के मुताबिक, कमानी ऑडिटोरियम में आयोजित इस सम्मान समारोह में जावेद अख्तर को सम्मानित करने के बाद अन्य लोगों के नाम पुकारे जाने लगे। लेकिन अख्तर मंच पर ही खड़े रहे। उन्हें लगा कि बोलने का मौका भी दिया जाएगा। लेकिन जब ऐसा नहीं हुआ तो नाराज होकर वह मंच से उतरे और ऑडिटोरियम से बाहर जाने लगे। उन्हें बाहर जाता देखकर कुछ सदस्य दौड़कर उनके पास पहुंचे और मनाकर वापस मंच पर ले गए।
पांच लाख क्या मुफ्त के हैं? : मंच पर लौटने के बाद जावेद अख्तर ने सभी का हंसकर अभिवादन किया। उन्होंने कहा,” बस ये पूरी बात आपस में ही रहे। उन्होंने कहा, मुझे किसी और कार्यक्रम में जाना था, इसलिए मैंने अनुरोध किया था कि थोड़ा जल्दी बोलने का अवसर दे दिया जाए। बाद में जब मैं मंच से उतरकर ऑडिटोरियम के बाहर जाने लगा तो मुझे पकड़कर कहा गया कि क्या ये पांच लाख रुपये मुफ्त के हैं? बोलना भी तो पड़ेगा आपको। अख्तर की इस बात पर पूरा हॉल ठहाकों से गूंज उठा।
भाईचारा बढ़ाएगी हिंदुस्तानी भाषा: बाद में जावेद अख्तर ने अपने भाषण में हिंदी व उर्दू के बीच की दीवार तोड़ने के लिए हिंदी अकादमी का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि स्कूल व कॉलेजों में हिंदुस्तानी विषय छात्रों को पढ़ाया जाना चाहिए, जिसकी लिपि देवनागरी हो और उसमें उर्दू की कविताओं व साहित्य का जिक्र हो। इस कार्यक्रम में जावेद अख्तर को उनके साहित्यिक कार्यों के लिए सम्मान स्वरूप पांच लाख रुपये की धनराशि, शॉल, प्रशस्ति पत्र व ताम्रपत्र भेंट किए गए। कार्यक्रम में एमके.रैना को शिखर सम्मान और दिव्या भारती को संतोष कोली स्मृति चिह्न् प्रदान किया गया है।