मन की बात: पीएम मोदी ने किया अंजुम बशीर का जिक्र, KAS टॉपर बोले- मुझे यकीन ही नहीं हुआ

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को मन की बात कार्यक्रम में जम्मू कश्मीर प्रशासनिक सेवा परीक्षा में अव्वल रहे छात्र अंजुम बशीर खान खट्टक का हालात से उबर कामयाब होने का जिक्र किया और उनकी कहानी को देश के युवाओं के लिए प्रेरणाप्रद बताया। इस पर अंजुम ने प्रधानमंत्री के प्रति आभार जताया। अंजुम ने समाचार एजेंसी एएनआइ से कहा- मैं उनका आभारी हूं। प्रधानमंत्री ने मेरे बारे में जो कहा उससे मुझे समाज के लिए काम करने के लिए खूब प्रेरणा मिलती रहेगी। जब मुझे बताया गया कि प्रधानमंत्री ने मन की बात कार्यक्रम में मेरा नाम लिया तो इस पर मुझे विश्वास नहीं हुआ।

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा ‘‘ऐसे अनेक लोग हैं जो अपने-अपने स्तर पर ऐसे कार्य कर रहे हैं, जिनसे कई लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आ रहा है। वास्तव में, यही तो ‘न्यू इंडिया’ है जिसका हम सब मिल कर निर्माण कर रहे हैं।’’ पीएम मोदी ने इन्हीं छोटी-छोटी खुशियों के साथ ‘सकारात्मक भारत’ से ‘प्रगतिशील भारत’ की दिशा में मजबूत कदम बढ़ाते हुए देशवासियों से नववर्ष में प्रवेश का आह्वान किया।

 इस साल के अंतिम दिन ‘मन कर बात’ कार्यक्रम में मोदी ने कहा ‘‘जब हम ‘सकारात्मकाता’ की बात करते हैं तो मुझे भी एक बात साझा करने का मन करता है। हाल ही में मुझे कश्मीर के प्रशासनिक सेवा में अव्वल रहे अंजुम बशीर खान खट्टक की प्रेरणादायी कहानी के बारे में पता चला।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि अंजुम ने आतंकवाद और घृणा के दंश से बाहर निकल कर कश्मीर प्रशासनिक सेवा की परीक्षा में शीर्ष स्थान प्राप्त किया है। जबकि साल 1990 में आतंकवादियों ने उनके पैतृक-घर को जला दिया था।

आतंकवाद के कारण विस्थापन को विवश हुये अंजुम के परिवार की दास्तान बताते हुये प्रधानमंत्री ने कहा ‘‘एक छोटे बच्चे के लिए उसके चारों ओर इतनी हिंसा का वातावरण, दिल में अंधकार और कड़वाहट पैदा करने के लिए काफी था, पर अंजुम ने ऐसा नहीं होने दिया। उन्होंने कभी आशा नहीं छोड़ी। उन्होंने अपने लिए एक अलग रास्ता चुना – जनता की सेवा का रास्ता।’’ विपरीत हालात से उबर कर सफलता की अपनी कहानी खुद लिखने वाले अंजुम को मोदी ने जम्मू और कश्मीर ही नहीं बल्कि पूरे देश के युवाओं के लिए प्रेरणाप्रद बताया। उन्होंने कहा कि अंजुम ने साबित कर दिया है कि हालात कितने ही खराब क्यों न हों, सकारात्मक कार्यों के द्वारा निराशा के बादलों को भी ध्वस्त किया जा सकता है।

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