मशीनों से की जाए सीवर की सफाई, कड़े नियम बना ठेकेदारों के खिलाफ दर्ज हो केस: एलजी अनिल बैजल
राजधानी में पिछले दिनों सीवर की सफाई के दौरान हुई सफाईकर्मियों की मौत के मुद्दे पर उपराज्यपाल अनिल बैजल ने सोमवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, जल मंत्री राजेंद्र गौतम और संबंधित अधिकारियों के साथ बैठक की। इस दौरान उपराज्यपाल ने निर्देश जारी किया कि नालों और सेप्टिक टैंकों की सफाई का काम पूरी तरह से यांत्रिक तरीके से किया जाए। इसके साथ ही यह फैसला भी किया गया कि सात दिनों के अंदर इसके लिए कड़े नियम तैयार किए जाएंगे और ठेकेदारों, लोगों व दुर्घटना के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ आइपीसी की धारा 304 के तहत मामला दर्ज किया जाएगा। बैठक के बाद संवाददाताओं को संबोधित करते हुए जल मंत्री राजेंद्र गौतम ने कहा कि यह फैसला किया गया है कि किसी भी व्यक्ति को सीवर में नहीं उतरने दिया जाएगा। इसके अलावा बड़े-बड़े होर्डिंग लगाकर ठेकेदारों और लोगों को सूचित किया जाएगा कि अगर सेप्टिक टैंक की सफाई के लिए किसी भी सफाईकर्मी को अंदर उतारा जाता है तो उनके खिलाफ लापरवाही नहीं, बल्कि धारा 304 के तहत आपराधिक मुकदमा दर्ज किया जाएगा। राजेंद्र गौतम ने यह भी कहा है कि तीनों नगर निगमों को निर्देश दिया गया है कि वो मैनुअल तरीके से सफाई करवाने वालों की पहचान करें।
राजेंद्र गौतम के मुताबिक, दिल्ली जल बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, एनडीएमसी के अध्यक्ष और दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के आयुक्त की एक तीन सदस्यीय कमेटी बनाई गई है जो 15 दिनों के अंदर एसओपी (स्टैंडर्ड आॅपरेटिंग प्रोसिड्योर) तैयार करेगी। इसके साथ ही कमेटी 15 दिनों के अंदर ऐसी मशीन का पता लगाएगी जो सीवर की यांत्रिक सफाई के लिए उपयोग में लाई जा सके। इन रिपोर्टों के साथ 15 दिन बाद उपराज्यपाल की अध्यक्षता में फिर से बैठक होगी। जल मंत्री ने कहा कि बैठक में दिल्ली सरकार के अनुसूचित जाति विभाग के सचिव को निर्देश जारी किया गया है कि प्रोहिबिशन आॅफ मैनुअल स्कैवेंजर एंड रिहैबिलिटेशन अधिनियम संबंधी जितनी भी अधिसूचनाएं हैं वो सभी आॅनलाइन की जाएंगी। इसके साथ ही निजी घरों, मॉल व फार्म हाउस के लोग निजी स्तर पर सेप्टिक टैंक सफाईकर्मी को नहीं बुला सकेंगे। सफाईकर्मियों की एक सूची तैयार की जाएगी और उनसे संपर्क के लिए होर्डिंग्स पर टेलीफोन नंबर दिए जाएंगे। बैठक में उपराज्यपाल, मुख्यमंत्री और जल मंत्री के अतिरिक्त दिल्ली जल बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, एनडीएमसी के अध्यक्ष, तीनों नगर निगमों के आयुक्त, पीडब्लूडी, सीपीडब्लूडी और दिल्ली कैंटोनमेंट बोर्ड के प्रमुख शामिल थे।