मस्जिद नहीं महाराणा प्रताप का किला? अल्पसंख्यक आयोग ने पुरातत्व विभाग से मांगा जवाब

खिड़की मस्जिद के मसले पर दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग (डीएमसी) ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) से जवाब मांगा है। डीएमसी ने पूछा है कि मस्जिद को लेकर किए जा रहे दावों को खारिज करने के लिए उसने क्या कदम उठाए हैं? आपको बता दें कि खिड़की मस्जिद तुगलक दौर का एक प्रसिद्ध स्मारक है, लेकिन दावे किए जा रहे हैं कि यह राजपूत राजा महाराणा प्रताप का किला था।

डीएमसी के अध्यक्ष जफरूल इस्लाम खान ने बताया कि एएसआई को स्वत: संज्ञान नोटिस जारी किया गया है। ऐसी खबरें आ रही थी कि कुछ स्थानीय लोग मस्जिद के बारे में दावा कर रहे हैं कि यह महाराणा प्रताप का किला था। खिड़की मस्जिद दक्षिण दिल्ली के खिड़की गांव में है, जिसका निर्माण 14 वीं सदी में दिल्ली के सुल्तान फिरोज शाह तुगलक की ओर से कराया गया था।

खान के मुताबिक, “आयोग ने विभाग से पूछा है कि मस्जिद को महाराणा प्रताप का किला बताने वाले दावों को खारिज करने के लिए उसने क्या कदम उठाए हैं?” आयोग ने इसके अलावा यह भी पूछा है कि स्मारक के साइन बोर्ड से ‘मस्जिद’ शब्द न मिटाया जा सके, इसके लिए विभाग ने क्या किया है?

बकौल डीएमसी अध्यक्ष, “लगातार ऐसी खबरें प्रकाशित हो रही हैं, जिनके मुताबिक मस्जिद शब्द को एएसआई के साइनबोर्ड से बार-बार मिटाया जा रहा है। साथ ही कुछ स्थानीय लोग यह भी दावा कर रहे हैं कि तुलगक के दौर का यह स्मारक दरअसल महाराणा प्रताप का किला है।’’ उन्होंने बताया कि अब तक एएसआई ने नोटिस का जवाब नहीं दिया है।

1915 के भारत के राजपत्र के मुताबिक, खिड़की मस्जिद को एएसआई ने अधिसूचित किया है। मस्जिद का निर्माण मलिक मकबूल ने कराया था, जो फिरोज शाह तुगलक के शासन काल में दिल्ली सल्तनत के प्रधानमंत्री थे। हालांकि, इसके बोर्ड पर इतिहास को लेकर कोई जानकारी नहीं मिलती।

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