महाभियोग पर अरुण जेटली: जजों को डराने की कोशिश कर रही है कांग्रेस
कांग्रेस की अगुआई में विपक्षी दलों ने राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू को मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने का नोटिस दिया है। अब इसको लेकर सियासत गरमाने लगी है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने एक पोस्ट जारी कर कहा कि विपक्षी पार्टी जजों को डराने की कोशिश कर रही है। केंद्रीय मंत्री के अनुसार, महाभियोग चलाने की शक्ति का हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है। जेटली ने जज लोया की मौत पर एक पत्रिका द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट को भी झूठा करार दिया है। उन्होंने इस कदम को न्यायिक स्वतंत्रता के लिए भी खतरा करार दिया है। केंद्रीय मंत्री ने कांग्रेस पर न्यायिक विद्रोह की स्थिति पैदा करने का भी आरोप लगाया है। साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि सोहराबुद्दीन शेख मामले में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की कोई भूमिका नहीं थी। उन्होंने जनहित याचिकाओं के दुरुपयोग का भी आरोप लगाया है।
अरुण जेटली ने लिखा, ‘सुप्रीम कोर्ट के जज के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव ‘अक्षमता’ और ‘साबित कदाचार’ के आधार पर ही लाया जा सकता है। कांग्रेस पार्टी और उनके मित्रों ने महाभियोग का राजनीतिक हथियार के तौर पर इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। महाभियोग एक प्रक्रिया है जिसके तहत आप संबंधित संस्थान की प्रतिष्ठा को बचाए रखने के लिए पदस्थापित व्यक्ति को हटाते हैं। हमारे संविधान के तहत महाभियोग की शक्ति अंतर-संस्थानिक जवाबदेही का हिस्सा है। संसद के दोनों सदनों को महाभियोग का न्यायिक अधिकार दिया गया है। ऐसे में प्रत्येक सदस्य को एक जज के तौर पर काम करना होता है। ऐसे में यह निर्णय पार्टी लाइन और आदेश के आधार पर नहीं लिया जा सकता है। इस शक्ति का इस्तेमाल साबित कदाचार के मामलों में किया जाता है। इसे महत्वहीन बनाना एक खतरनाक प्रक्रिया है।’ वित्त मंत्री ने लिखा कि राज्यसभा में 50 या लोकसभा से 100 सदस्यों का हस्ताक्षर लेना कोई कठिन काम नहीं है। तुच्छ मामलों में भी ऐसा किया जा सकता है। उन्होंने लिखा, ‘इस शक्ति का इस्तेमाल डराने-धमकाने के लिए करना न्यायिक स्वतंत्रता के लिए बेहद गंभीर खतरा है। जस्टिस लोया मामले में कांग्रेस का झूठ साबित होने के बाद बदले की भावना के तहत यह अर्जी (महाभियोग का नोटिस) दी गई है।’