महाराष्ट्र: बीयर की बोतलों से नालियां जाम होने से विधानभवन में भरा पानी!

महाराष्ट्र विधानसभा में शुक्रवार (6 जुलाई) का दिन ऐतिहासिक रहा। 57 सालों के इतिहास में ये दूसरा मौका रहा, जब विधानसभा पूरी तरह से अंधेरे में डूबी रही। सरकार के शर्मिंदगी की एक और जो वजह थी वो ये कि बीयर की बोतलों और प्लास्टिक थैलियों की वजह से नालियां जाम हो गई थी। इसकी वजह से पानी की निकासी विधानसभा के बाहर नहीं हो सकी। नागपुर को महाराष्ट्र की दूसरी राजधानी समझा जाता है। शहर में हर साल विधानसभा का शीतकालीन सत्र होता है और 1961 के बाद ऐसा पहली बार हो रहा है कि शहर में मॉनसून सत्र का आयोजन हो रहा है। लेकिन मूसलाधार बारिश की वजह से ये मॉनसून सत्र ठीक से नहीं चल पा रहा है।

विधानसभा और विधान परिषद की सुबह बैठक 6 जुलाई को शुरू होने के कुछ ही देर बाद अंधेरे की वजह से कार्यवाही को स्थगित कर दिया गया। शहर में भारी बारिश के बाद विधान भवन में बिजली आपूर्ति करने वाले स्विंचिंग केंद्र में पानी भरने के कारण बिजली आपूर्ति बंद करनी पड़ी। नागपुर शहर में 5 तारीख की रात भारी बारिश हुई थी और जब 6 तारीख की सुबह 10 बजे जब विधानसभा की कार्यवाही शुरू हुई तो सदन में अंधेरा पसरा था। विधानसभा अध्यक्ष हरिभाऊ बागडे ने सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक विधानसभा अध्यक्ष हरिभाऊ बागडे ने अपनी निगरानी में नालियों की सफाई करवाई। नालियों से बीयर की बोतलें निकलवाई गई, प्लास्टिक की थैलियां साफ करवाई गई। ताकि ओवरफ्लो हुआ पानी स्विचिंग रूम तक ना पहुंचे। नागपुर में साल 1961 में बिजली की समस्या की वजह से सदन की कार्यवाही को स्थगित करना पड़ गया था।

नागपुर नगर निगम में शहर में वाटर लॉगिंग का जायजा लेते सीएम देवेन्द्र फडणवीस (फोटो-पीटीआई)

विधानसभा परिसर में पानी भरने के बाद विपक्ष ने सरकार पर हमला बोला। सदन में शिवसेना के नेता सुनील प्रभु ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘नागपुर दूसरी राजधानी है और महत्वपूर्ण शहर है। नागपुर नगर निगम भाजपा चलाती है। विधानसभा सत्र की कार्यवाही बारिश की वजह से बाधित नहीं हो, यह सुनिश्चित करने के लिए इसे बुनियादी आधारभूत ढांचा मुहैया कराना चाहिए था।’’ अगर यह मुंबई में हुआ होता तो शिवसेना के कब्जे वाले मुंबई नगर निकाय की आलोचना हो रही होती। हर कोई बृहन्नमुंबई महानगरपालिक (बीएमसी) के खिलाफ जांच की मांग कर रहा होता।

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