महाराष्‍ट्र: किसानों ने वापस लिया आंदोलन, सीएम ने कहा- अधिकतर मांगें मान लीं, लिखित में दिया है

महाराष्‍ट्र में किसानों द्वारा जारी आंदोलन वापस ले लिया गया है। सोमवार (12 मार्च) को मुख्‍यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस से मुलाकात के बाद इस बात की घोषणा की गई। मुख्‍यमंत्री ने कहा, ”हमने उनकी (किसानों) अधिकतर मांगें मान ली हैं और उन्‍हें लिखित पत्र दिया है।” पिंक बोल कीड़े और ओलों से प्रभावित किसानों को महाराष्‍ट्र सरकार मुआवजा देगी। किसानों ने खेती की खस्ता हालत को लेकर बीते 10 महीनों में दूसरी बार राज्य सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला और विधानसभा तक विरोध मार्च किया। इस मार्च में पुरुषों, महिलाओं, युवाओं और बुजुर्गों सहित 35,000 से अधिक किसानों ने छह दिनों से ज्यादा समय में 180 किलोमीटर लंबे मार्च को पूरा किया। अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) की ओर से आयोजित इस मार्च में मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के किसान धड़े के किसान लाल टोपी पहने, हाथों में लाल झंडे लिए ड्रम बजाते हुए शामिल हुए।

किसानों की योजना को देखते हुए सरकार ने किसानों के साथ सभी मुद्दों पर चर्चा करने के लिए आनन-फानन में छह सदस्यीय मंत्रिमंडलीय समिति गठित की थी। किसानों के नेता अजीत नवाले ने बताया था कि उनकी प्रमुख मांगों में जून 2017 में घोषित हुए किसान ऋण माफी को लागू करना है, जिससे किसान पूरी तरह से कर्जमुक्त हो सकें।

एआईकेएस महाराष्ट्र के अध्यक्ष अशोक धवाले ने कहा कि कृषि की हालत गंभीर है। बीते 25 वर्षों में 400,000 से अधिक किसान आत्महत्या कर चुके हैं। उन्होंने कहा, “कृषि की खस्ता हालत कुपोषण से जुड़ी है। किसान महाराष्ट्र और केंद्र में भाजपा नेतृत्व वाली सरकार द्वारा ठगा गया महसूस कर रहे हैं।”

महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष अशोक चव्हाण, राधाकृष्णन विखे-पाटिल, पृथ्वीराज चव्हाण और नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार, धनंजय मुंडे और जितेंद्र अवहद सहित कांग्रेस नेताओं ने किसानों के मार्च को समर्थन देने का एलान किया था।

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