महिला कुली की कहानी सुनकर राष्ट्रपति कोविंद हुए भावुक, ऐश्वर्या, सानिया और सिंधू के साथ सम्मान मिलते देख लोग हुए दंग

‘‘ पति की मौत के बाद तीन बच्चों के पालन-पोषण का भार सिर पर पड़ा। भाई ने जयपुर आकर काम ढूंढने को कहा। मैं आई तो सोचा क्यों न कुली ही बन जाऊ। मेरा वजन 30 किलोग्राम था और यात्रियों का बैग भी 30 किलोग्राम होता था। परिवार चलाने के लिए इस भार को उठाने के सिवा कोई चारा नहीं था। छह महीने की ट्रेनिंग के बाद मैं जयपुर रेलवे स्टेशन पर कुली बन गई। ”

कहानियां तो सबके पास थीं, मगर संघर्ष की जो कहानी राष्ट्रपति भवन में मंजू ने सुनाई, उसे सुनकर राष्ट्रपति सभी लोग भावुक हो उठे। जयपुर रेलवे स्टेशन पर कुली बनकर बच्चों का पेट पालने वाली मंजू को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सम्मानित किया। फर्स्ट लेडीज नामक पहल के तहत देश की कुल 112 महिलाओं को राष्ट्रपति भवन में इस सम्मान समारोह के लिए चुना गया था, जिसमें मंजू का भी नाम रहा।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा- ” मैं कभी इतना भावुक नहीं हुआ, जितना बेटी मंजू की कहानी सुनकर द्रवित हुआ। ” मंजू ने 2013 में जयपुर रेलवे स्टेशन पर कुली  का काम शुरू किया। अपने-अपने क्षेत्रों में उपलब्धियों के झंडे गाड़ने वालीं  कुल 112 में से 90 महिलाएं राष्ट्रपति भवन सम्मान लेने पहुंचीं थीं।

ऐश्वर्या, सानिया, सिंधू के साथ मिला सम्मान:  देश की पहली महिला कुली मंजू देवी जब राष्ट्रपति भवन पहुंची तो उन्हें देखकर हर कोई दंग रह गया। अपने क्षेत्रों में पहचान बनाने के लिए सम्मान ग्रहण करते समय हर महिला ने अपनी कहानी सुनाई। जब मंजू ने जो कहानी सुनाई, उसने हर किसी को भावुक कर दिया। मंजू ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि एक दिन वह राष्ट्रपति भवन जाकर सम्मान ग्रहण करेंगी, वो भी ऐश्वर्या राय, सानिया मिर्जा और पीवी सिंधू जैसी सेलिब्रेटीज के बीच बैठने का मौका मिलेगा।  राष्ट्रपति भवन में आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रपति ने सम्मानित महिलाओं को ग्रामीण महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए काम करने की सलाह दी। महिलाओं का चयन महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से किया गया था। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि यहां हर किसी के पास सुनाने के लिए अपनी एक कहानी है। केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने कहा कि बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरुआत के बाद से देश में सेक्स रेशियो में अभूतपूर्व बदलाव आया है।

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