मानहानि मामला: व्यापम घोटाले में शिवराज सिंह चौहान का नाम घसीटने पर कांग्रेस नेता को जेल, जुर्माना भी लगाया
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं उनके परिजन पर लगाये गये आरोपों के खिलाफ दायर मानहानि के एक मामले में स्थानीय अदालत ने प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता के. के. मिश्रा को आज (17 दिसंबर) दो साल की साधारण कारावास की सजा सुनाई। प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश काशीनाथ सिंह ने मुख्यमंत्री एवं उनके परिजन पर लगाये गये मिश्रा के आरोपों को निराधार पाया और झूठे आरोप लगाने के लिए मिश्रा को दो वर्ष की सजा सुनाई। अदालत ने मिश्रा को 25,000 रूपये के जुर्माने से दंडित भी किया है। जुर्माने की राशि जमा नहीं करने पर उन्हें तीन माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। हालांकि, अदालत ने मिश्रा को सजा सुनाने के तुरंत बाद ही 50,000 रूपये की जमानत पर रिहा कर दिया। वहीं इस केस में फैसला आने के बाद सीएम शिवराज सिंह चौहान ने संस्कृत में एक श्लोक ट्वीट किया। इस श्लोक का अर्थ होता है, ‘ सत्य के बल पर पृथ्वी का धारण होता है, सत्य से ही सूर्य तपता है, सत्य से ही पवन चलता है, सब सत्य पर आधारित है।
इसी बीच, मिश्रा के वकील अजय गुप्ता ने कहा कि हम इस फैसले के खिलाफ मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में अपील करेंगे। मालूम हो कि 21 जून 2014 को मिश्रा ने भोपाल स्थित प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यालय में पत्रकार वार्ता आयोजित कर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं उनके परिजन पर आरोप लगाया था कि चौहान ने महाराष्ट्र के गोंदिया स्थित अपने ससुराल के 19 लोगों को मध्यप्रदेश परिवहन आरक्षक भर्ती की परीक्षा में उत्तीर्ण कराया था। इसके अलावा, मिश्रा ने चौहान पर कई अन्य गंभीर आरोप भी लगाये थे। इन आरोपों पर लोक अभियोजक अधिकारी एवं वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद तिवारी ने राज्य सरकार की ओर से मिश्रा के खिलाफ अदालत में जुलाई 2014 में मानहानि का परिवाद पत्र पेश किया था। इस मामले में मुख्यमंत्री चौहान ने तीन बार अदालत में गवाही दी थी।
अदालत ने पाया कि के के मिश्रा द्वारा लगाया आरोप कि सीएम ने महाराष्ट्र के गोदिंया स्थित अपने ससुराल के कुछ लोगों को कथित रूप से परिवहन आरक्षक बनवाया था, पूरी तरह से गलत है।जांच में पता चला है कि गोदिंया के किसी शख्स की नियुक्ति नहीं हुई है।