मारे गए नेता पर जेएनयू में कार्यक्रम करना चाहते थे माओवादी- पुणे पुलिस ने कोर्ट को बताया

नई दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माओवादी) पूर्व में मारे गए नेता को लेकर कार्यक्रम करना चाहती थी। वह यहां नवीन बाबू की याद में लेक्चर सीरीज का आयोजन करने वाली थी, जो कि जेएनयू का ही पूर्व छात्र था और माओवादी नेता था। गुरुवार (14 जून) को यह खुलासा पुणे पुलिस ने शहर की एक कोर्ट में किया। बताते चलें कि साल 2000 में बाबू की जान पुलिसिया कार्रवाई के दौरान आंध्र प्रदेश में चली गई थी।

पुलिस ने यह बात तब कही, जब वह एल्गार परिषद के मामले को लेकर पांच आरोपियों में से चौथे को पेश कर रही थी। पुलिस अधिकारियों ने इसी के साथ शिवाजी नगर स्थित कोर्ट में कुछ दस्तावेज भी जमा किए, जिनके जरिए दावा किया गया कि सीपीआई (माओवादी) के लोग जेएनयू में बाबू पर लेक्चर कराना चाहते थे। वे इसके अलावा कार्यक्रम के लिए कुछ सामग्री भी मुहैया कराने की फिराक में थे।

पिछले साल 31 दिसंबर को पुणे के शनिवार वड़ा इलाके में एल्गार परिषद नाम की कॉन्फ्रेंस हुई थी। पुणे पुलिस ने इसके बाद इस साल छह जून को दिल्ली से जेएनयू की पूर्व छात्रा व कमेटी फॉर रिलीज ऑफ पॉलिटिकल प्रिजनर्स की कार्यकर्ता रोना विल्सन, मुंबई से रिपब्लिकन पैंथर्स जति अंतचि चलवल (आरपी) के कार्यकर्ता सुधीर धावले, इंडियन एसोसिएशन ऑफ पीपल्स लॉयर्स के वकील सुरेंद्र गादलिंग, नागपुर विवि की प्रोफेसर शोमा सेन और नागपुर से पूर्व पीएम रूरल डेवलवमेंट फेलो महेश राऊत को गिरफ्तार किया था। पुलिस ने इस गिरफ्तारियों के साथ दावा किया था कि ये लोग शहरों में माओवादी संगठन चलाते हैं।

शिकायतों में आरोप लगाया गया था कि कॉन्फ्रेंस के दौरान भड़काऊ भाषणों के चलते एक जनवरी को कोरागांव भीमा में हिंसा हुई। तब 30 वर्षीय एक शख्स की मौत हो गई, जबकि सैकड़ों लोग जख्मी हुए थे। पुलिस ने इस मामले में पांच आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था। 14 जून तक के लिए उन्हें पुलिस हिरासत में रखा गया।

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