मिशन 2019: महाराष्ट्र में कांग्रेस-एनसीपी में सीट बंटवारे पर फंस सकता है पेंच, जूनियर पवार बोले- 50-50 चाहिए
अगले साल आम चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी को हराने के लिए जहां गैर भाजपाई दल एकजुट हो रहे हैं और भविष्य के गठबंधन पर अभी शुरुआती चर्चा कर रहे हैं, वहीं महाराष्ट्र में कांग्रेस और एनसीपी के नेता इससे आगे सीटों के बंटवारे पर खींचतान में मशगूल हो गए हैं। हालांकि, माना जा रहा है कि महाराष्ट्र में लोकसभा और विधान सभा दोनों चुनावों में कांग्रेस और एनसीपी मिलकर चुनाव लड़ेंगे। शीर्ष नेतृत्व के स्तर पर इसकी कोशिशें जारी हैं। इस बीच एनसीपी प्रमुख शरद पवार के भतीजे अजित पवार ने कहा है कि वो सीटों के बंटवारे के मुद्दे पर 50-50 से कम पर नहीं मानेंगे। उन्होंने तर्क दिया कि 2014 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों में कांग्रेस और एनसीपी का प्रदर्शन करीब-करीब एक जैसा ही रहा है। इसलिए आगामी चुनावों में हम नंबर दो की भूमिका में नहीं बल्कि बराबर भूमिका में रहेंगे।
जूनियर पवार से पहले एनसीपी के सीनियर नेता प्रफुल्ल पटेल ने भी इसी तरह की बात कुछ दिनों पहले कही थी। उन्होंने कहा था कि महाराष्ट्र में चुनाव पूर्व गठबंधन के तहत पार्टी बराबर सीट बंटवारे का फार्मूला चाहती है। यह फार्मूला लोकसभा और विधानसभा दोनों चुनावों के लिए है। हालांकि, अभी चुनाव होने में साल भर की देरी है लेकिन सभी पार्टियां सर्वेक्षण कराने और जनता की नब्ज टटोलने लगी है। वैसे एनसीपी फिलहाल महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चव्हाण और कांग्रेस महासचिव और राज्य प्रभारी मोहन प्रकाश पर नजरें गड़ाए हुई है जिन्हें संभावित गठबंधन पर पार्टी आलाकमान को रिपोर्ट देनी है।
बता दें कि कांग्रेस एनसीपी से चुनाव पूर्व गठबंधन की संभावनाओं पर जिला स्तर पर रायशुमारी करवा रही है और फीडबैक ले रही है। इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में महाराष्ट्र कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने पहचान उजागर नहीं करने की शर्त पर कहा कि पार्टी फिलहाल दो निष्कर्षों पर पहुंची है, पहला यह कि सैद्धांतिक तौर पर हमें एनसीपी के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन करना चाहिए और दूसरा यह कि लोकसभा और विधानसभा किसी में भी कांग्रेस एनसीपी को 50 फीसदी सीट नहीं देने जा रही है।
बता दें कि 2014 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 42, एनसीपी ने 41 सीटें जीती थीं जबकि बीजेपी ने 122 और शिवसेना ने 63 सीटें जीती थीं। अन्य दलों और निर्दलीयों ने कुल 20 सीटें जीती थीं। वहां विधानसभा की कुल 288 सीटें हैं। लोकसभा में कांग्रेस ने 2 और एनसीपी ने 4 सीटें जीती थीं जबकि बीजेपी 23 और शिवसेना 18 सीटों पर जीत हासिल कर सकी थी। एक सीट स्वाभिमानी शेतकारी संगठन को मिली थी।