मुख्यमंत्री को भेजी गई जांच रिपोर्ट में वाराणसी के आयुक्त ने कहा- BHU प्रशासन लापरवाही का दोषी
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में पिछले सप्ताह भड़की हिंसा के मामले में वाराणसी के कमिश्नर ने अपनी जांच रिपोर्ट लखनऊ भेज दी है। इस रिपोर्ट में उन्होंने बीएचयू प्रशासन को लापरवाही का दोषी ठहराया है। रविवार को मुख्यमंत्री योगी के निर्देश के बाद यह गोपनीय रिपोर्ट तैयार की गई थी। इस बीच मंगलवार को विश्वविद्यालय के कुलपति और सरकार ने बीएचयू हिंसा मामले की जांच के आदेश दिए। बीएचयू के कुलपति गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने कहा कि हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अगुवाई में जांच का आदेश दिया गया है। विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद की बैठक में भाग लेने मंगलवार राष्ट्रीय राजधानी आए त्रिपाठी ने कहा, ‘मैंने घटना के संबंध में जांच का आदेश दिया है। इलाहाबाद हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश बीएच दीक्षित जांच समिति के प्रमुख होंगे’। उधर राज्य सरकार के प्रवक्ता और प्रदेश के मंत्री श्रीकांत शर्मा ने लखनऊ में कहा, ‘बीएचयू अधिकारियों ने घटनाओं के सिलसिले में मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश दे दिए हैं।
कुलपति त्रिपाठी ने दावा किया कि हिंसा अफवाहों और बाहरी लोगों की वजह से फैली। त्रिपाठी ने बीएचयू में लैंगिक भेदभाव के आरोपों को भी दरकिनार करते हुए कहा कि हो सकता है इस तरह की धारणा जरूर बन गई हो क्योंकि अधिकारी पुरुषों से ज्यादा महिलाओं की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं।
उन्होंने कहा, ‘हमारे पास फुटेज हैं जिनमें विरोध प्रदर्शन में साफ तौर पर बाहरी लोगों को देखा जा सकता है। अफवाहों की वजह से प्रदर्शन तेज हो गए। इस तरह की अफवाहें फैलाई गईं कि लड़कियों को छात्रावास छोड़ने के लिए कह दिया गया है’। मामला एक छात्रा की शिकायत से शुरू हुआ जिसने आरोप लगाया था कि जब वह परिसर के भीतर ही अपने छात्रावास की ओर लौट रही थी तो मोटरसाइकिल पर सवार तीन लोगों ने उसके साथ छेड़छाड़ की।
गुरुवार को हुई इस घटना के खिलाफ कुछ छात्र-छात्राओं ने प्रदर्शन किया।
कुछ विद्यार्थियों ने कुलपति से उनके आवास पर मिलने की कोशिश की, जिसके बाद हिंसा फैल गई। शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री ने मामले को बहुत गंभीरता से लिया है। उन्होंने विपक्षी दलों पर अकादमिक माहौल को बिगाड़ने की कोशिश करने का आरोप लगाया और कहा कि उन्हें परिसरों में आंदोलन से दूर रहना चाहिए।’ छात्राओं पर लाठीचार्ज के संबंध में उन्होंने कहा, ‘हम उन बाहरी लोगों की पहचान कर रहे हैं जो राजनीति करने के लिए छात्र-छात्राओं का इस्तेमाल कर रहे हैं और लाठीचार्ज में शामिल लोगों की भी पहचान कर रहे हैं’। शर्मा ने कहा कि सरकार ने स्थानीय प्रशासन से परिसर में सुरक्षा और मजबूत करने को कहा है। उन्होंने कहा, ‘परिसर में सीसीटीवी कैमरे लगाने का फैसला किया गया है’।
कुलपति का दावा
’मैंने घटना के संबंध में जांच का आदेश दिया है। इलाहाबाद हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश बीएच दीक्षित जांच समिति के प्रमुख होंगे।
’हमारे पास फुटेज हैं जिनमें विरोध प्रदर्शन में बाहरी लोगों को देखा जा सकता है।
’हम उन बाहरी लोगों की पहचान कर रहे हैं जो राजनीति करने के लिए छात्र-छात्राओं का इस्तेमाल कर रहे हैं और लाठीचार्ज में शामिल लोगों की भी पहचान कर रहे हैं।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) की हिंसा के मामले में उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक और विश्वविद्यालय के कुलपति को नोटिस जारी किया है। उनसे चार हफ्ते का भीतर जवाब मांगा गया है। उन्हें बताना होगा कि घटना कैसे हुई, शरारती तत्वों के खिलाफ क्या कार्रवाई हुई और आइंदा ऐसी घटना न हो इसके लिए क्या एहतियाती कदम उठाए गए हैं। इस घटना की मीडिया में आई खबरों का खुद संज्ञान लेते हुए आयोग ने मंगलवार को यह कदम उठाया।