मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के साथ मारपीट का मामला, केजरीवाल, सिसोदिया और 11 विधायकों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल
दिल्ली के मुख्य सचिव अंशु प्रकाश से बीते फरवरी महीने में हुई बदसलूकी और मारपीट के मामले में दिल्ली पुलिस ने सोमवार को अदालत में आरोपपत्र दाखिल कर दिया है। इस आरोपपत्र में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया नामजद हैं। साथ ही पुलिस ने आम आदमी पार्टी के 11 विधायकों को आरोपी बनाया है। इनमें अमानतुल्ला खान, प्रकाश जारवाल, नितिन त्यागी, ऋतुराज गोविंद, संजीव झा, अजय दत्त, राजेश ऋषि, मदन लाल, प्रवीण कुमार, और दिनेश मोहनिया के नाम शामिल हैं।
माना जा रहा है कि आरोपपत्र में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री समेत अन्य विधायकों पर जिस तरह के आरोप लगाए गए हैं, उससे आगामी दिनों में दिल्ली सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। वहीं, दिल्ली सरकार के पांच मंत्रियों से संयुक्त रूप से बयान जारी कर इस आरोपपत्र को खारिज कर दिया। अपने संयुक्त बयान में दिल्ली सरकार के मंत्री गोपाल राय, सत्येंद्र जैन, कैलाश गहलोत, राजेंद्र पाल गौतम और इमरान हुसैन ने कहा कि पुलिस द्वारा लगाए गए सभी आरोप बेबुनियाद हैं। यह सब एक सोची-समझी साजिश के तहत किया जा रहा है।
25 अगस्त को अगली सुनवाई
उत्तरी जिला पुलिस के अतिरिक्त उपायुक्त हरेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि दिल्ली पुलिस ने सोमवार को अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट समर विशाल के समक्ष अंतिम रिपोर्ट दायर की। आरोपपत्र कुल 1300 पन्नों का है। इस मामले पर सुनवाई की तारीख 25 अगस्त तय की गई है। पुलिस ने अंशु प्रकाश पर कथित हमले के सिलसिले में 18 मई को केजरीवाल से तीन घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की थी। प्रकाश ने आरोप लगाया था कि केजरीवाल के सरकारी आवास पर 19 फरवरी को एक बैठक के दौरान उन पर हमला किया गया। पुलिस ने कहा कि जिस समय कथित हमला हुआ, उस समय मुख्यमंत्री उपस्थित थे।
दो विधायक गिरफ्तार भी हुए थे
बीते दिनों इस मामले आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्ला खान और प्रकाश जारवाल को गिरफ्तार भी किया था। इसके साथ ही दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के अलावा उन सभी विधायकों से दिल्ली पुलिस ने पूछताछ की थी, जिनके नाम आरोप पत्र में शामिल हैं।
यह है पूरा मामला
बीती 19 फरवरी की आधी रात 12 बजे केजरीवाल के सिविल लाइंस स्थित आवास पर मुख्य सचिव के साथ हुई बदसुलूकी व मारपीट की घटना के बाद 21 फरवरी की सुबह सिविल लाइंस थाना पुलिस ने बाकी पेज 8 पर वीके जैन से पूछताछ की थी। पहले तो उन्होंने पुलिस को गुमराह करने की कोशिश की, लेकिन दिल्ली पुलिस ने अगले दिन 22 फरवरी को मजिस्ट्रेट के सामने बंद कमरे में उनका धारा-164 के तहत बयान दर्ज करवा दिया था, ताकि वे सबकुछ सच बता सकें। मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान में उन्होंने घटना की पूरी घटना उजागर कर दी थी। तभी पुलिस ने उन्हें केस का मुख्य चश्मदीद गवाह बना लिया था।
वीके जैन बनाए गए गवाह
उत्तरी जिला पुलिस ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के तत्कालीन सलाहकार वीके जैन को अपने आरोप पत्र में मुख्य चश्मदीद गवाह बनाया है। वीके जैन ने अपने बयान में कहा था कि आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्ला खान व प्रकाश जारवाल ने मुख्य सचिव का गला दबाकर उन्हें सात थप्पड़ व घूसे मारे थे। उन्होंने कहा था कि अंशु प्रकाश की जब पिटाई की जाने लगी थी, तब उनका चश्मा जमीन पर गिर गया था।
मारपीट के अलावा अन्य धाराएं
दिल्ली पुलिस ने अपने आरोपपत्र में भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) की कुल 13 धाराएं लगाई हैं, जिसमें डराने धमकाने के अलावा मारपीट के साथ-साथ सरकारी काम में बाधा डालने की धाराएं लगाई गई हैं। आरोपपत्र में आइपीसी की धारा 504 और 506 (2) के तहत आरोपी बताया गया है। मारपीट की 323 और सरकारी काम में बाधा डालने की 186 के अलावा 332, 353, 109, 114 और 33 व 36 के तहत आरोपी बताए गए हैं।