मुन्ना बजरंगी का मर्डर: डेडलाइन खत्म होने के बावजूद नहीं लगे सीसीटीवी, ढूंढे नहीं मिल रहा वारदात का चश्मदीद

यूपी की बागपत जेल, जहां गैंगस्टर मुन्ना बजरंगी की गोली मारकर हत्या की गई, वहां अभी तक एक भी सीसीटीवी कैमरा नहीं लगाया गया है। ऐसा तब है जब जेल में 30 सीसीटीवी कैमरे लगाने की समयसीमा 31 मार्च तय की गई थी। सूत्रों के मुताबिक जेल में जिन जगहों पर कैमरे लगाने की जगहों को चिन्हित किया था वहां से महज कुछ ही मीटर की दूरी पर बीते सोमवार को बाबू बजरंगी की गोली मारकर हत्या कर दी गई।
मामले में एडीजी (जेल) चंद्र प्रकाश ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उन्होंने उत्तर प्रदेश की जेलों का सर्वे करने और चिन्हित जगहों पर सीसीटीवी कैमरे लगाने की लिए साल 2014-15 में एक सराकरी एजेंसी को हायर किया था। उन्होंने कहा कि बागपत जैसी छोटी जेलों में भी 30 सीसीटीवी कैमरे लगाने का फैसला लिया था। जेलों में कैमरे लगाने की समयसीमा 31 मार्च, 2018 तय की गई थी। लेकिन एजेंसी समय से काम पूरा करने में सक्षम नहीं थी और वो अभी इसपर काम कर रहे हैं।
दूसरी तरफ पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक बागपत जेल, जहां करीब 850 कैदी हैं, वहां प्रर्याप्त स्टाफ की भी कमी है। जेल में 119 लोगों का स्टाफ रखने की स्वीकृति है लेकिन जेल में 36 लोगों से काम चलाया जा रहा है। राज्य की कई जेलों में भी ऐसा ही हाल है।
सीसीटीवी कैमरों की कमी उन कारणों में से एक है जिनसे पुलिस ने अभी तक उन लोगों की पहचान नहीं की है जब गैंगस्टर सुनील राठी ने प्रेम प्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना बजरंगी को गोली मारी, वो वहां मौजूद थे। पुलिस का कहना है कि कोर्ट में पेशी से कुछ घंटे पहले राठी ने मुन्ना बजरंगी को कम से कम दस गोलियां मार दीं।
सूत्रों का यह भी कहना है कि पुलिस अभी तक हत्याकांड के दौरान मौजूद गवाहों की पहचान भी नहीं कर सकी है। जबकि जेलर का कहना है कि जब उन्हें बाबू बजरंगी की हत्या के बारे में जानकारी मिली वह अपने कार्यालय में थे। यूपी के डीजीपी ओपी सिंह के मुताबिक एफआईआर के मुताबिक हत्या के दौरान वहां कोई शख्स मौजूद नहीं था। घटना की सटीक जानकारी जुटाने के लिए पुलिस जेल के स्टाफ से पूछताछ कर रही है। इसके अलावा राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने पूर्व डीजीपी सहित मामले में जांच के लिए तीन लोगों की टीम का गठन किया है।