मेघालय में भी न हो जाए गोवा जैसा हाल, राहुल ने भेजे दूत, बीजेपी ने कसी कमर
मेघालय विधानसभा चुनाव के शुरुआती रुझान आ चुके हैं। रुझानों के मुताबिक मेघालय में सत्तासीन कांग्रेस को इस बार कड़ी टक्कर मिल रही है और किसी एक पार्टी को बहुमत मिलने के आसार कम दिखाई दे रहे हैं। अभी तक आए रुझानों के मुताबिक मेघालय में कांग्रेस 23 सीटों पर आगे चल रही है, वहीं एनपीपी 13 और भाजपा 7 सीटों पर आगे हैं। रुझानों को देखते हुए मेघालय में सियासी उठा-पटक का खेल शुरु हो गया है। बता दें कि कांग्रेस ने अपने अहम रणनीतिकार अहमद पटेल को 2 अन्य नेताओं के साथ मेघालय रवाना कर दिया है। वहीं खबर है कि भाजपा भी दबे पांव एनपीपी के साथ गठबंधन बनाने की कोशिशों में लग गई है। चर्चा है कि भाजपा दिवंगत नेता पीए संगमा की पार्टी नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के साथ मिलकर बहुमत साबित कर सकती है। वहीं कांग्रेस नहीं चाहती कि गोवा की तरह मेघालय में भी पार्टी ज्यादा सीटें जीतने के बाद भी विपक्ष में बैठे, यही वजह है कि इस बार कांग्रेस सतर्कता बरत रही है।
मेघालय के मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता मुकुल संगमा को पूरा भरोसा है कि उनकी पार्टी ही सत्ता में आएगी। गौरतलब है कि कांग्रेस पिछले 9 सालों से मेघालय में सत्ता पर काबिज है, लेकिन इस बार उसे भाजपा, एनपीपी और कई छोटे दलों से कड़ी टक्कर मिल रही है। जीत के आंकड़ों की बात करें तो मेघालय में 60 विधानसभा सीटें हैं। जिनमे से 59 सीटों पर वोटिंग हुई थी। एक सीट पर प्रत्याशी की मौत के कारण बाद में मतदान कराया जाएगा। ऐसे में मेघालय में सरकार बनाने के लिए किसी भी पार्टी को 31 सीटों की जरुरत है। अब चूंकि अभी तक किसी भी पार्टी को बहुमत मिलता नहीं दिखाई दे रहा है तो गठबंधन की कोशिशें तेज हो गई हैं।
मेघालय में कांग्रेस की अग्निपरीक्षा है। दरअसल अगले साल लोकसभा चुनाव होने हैं और कांग्रेस नहीं चाहती कि लोकसभा चुनाव से पहले जनता में यह संदेश जाए कि कांग्रेस पार्टी धीरे-धीरे समाप्त हो रही है। लोकसभा चुनावों में अपने लिए संभावनाओं के द्वार खोलने के लिए कांग्रेस को मेघालय की सीट बचाना बेहद जरुरी हो गया है। बहरहाल पार्टी आलाकमान ने जिस तरह से अहमद पटेल को मेघालय रवाना किया है उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कांग्रेस मेघालय को हाथ से नहीं निकलने देना चाहती।