मेरठ: मुस्लिम परिवारों ने घर के बाहर लगाए पोस्टर- मकान बिकाऊ है
पश्चिमी यूपी के मेरठ जिले का लिसाड़ी गांव इन दिनों सुर्खियों में है। यहां के 10 मुस्लिम परिवारों ने अपने घर के बाहर ‘मकान बिकाऊ है’ का पोस्टर लगा दिया है। मुस्लिम परिवारों का दावा है कि उन्हें अपने घर बेचने और गांव से जाने की धमकियां दी जा रही हैं। ये सारी बातें तभी से शुरू हुईं हैं, जबसे उनके बच्चों का गांव के ही एक दुकानदार से झगड़ा हुआ है। मुस्लिम परिवारों ने अपने घर के बाहर जो पोस्टर लगाए हैं। उनमें लिखा हुआ है,”मैं मुस्लिम हूं। मैं अपना घर बेच रहा हूं। यहां छोटी-छोटी बातों को भी सांप्रदायिक रंग दिया जाता है।” परिवारों का दावा है कि छोटे-छोटे झगड़ों को भी सांप्रदायिक रंग दिया जाता है और पुलिस उनके साथ भेदभाव करती है।
यहां से शुरू हुआ विवाद : ये पूरा विवाद बीते 21 जून को स्थानीय दुकानदार जॉनी और इलाके के कुछ लोगों के बीच झगड़े से शुरू हुआ था। इस मामले में जॉनी ने छह मुस्लिम लड़कों के खिलाफ मारपीट और झगड़े की रिपोर्ट दर्ज करवाई थी। पुलिस ने कार्रवाई करते हुए दो मुस्लिम लड़कों को गिरफ्तार किया था। इसके बाद बाकी के आरोपी लड़के अपने परिवार सहित फरार हो गए। इसके बाद मुस्लिमों ने भी जवाबी रिपोर्ट लिखवाने की कोशिश की। लेकिन आरोप है कि पुलिस ने उनकी रिपोर्ट दर्ज करने से इंकार कर दिया।
पुलिस कर रही है भेदभाव! : मेरठ से सपा विधायक रफ़ीक अंसारी ने आरोप लगाया कि पुलिस ने एक राजनीतिक दल के दबाव में आकर मुस्लिमों के खिलाफ ही मुकदमा दर्ज कर लिया है। जबकि उनकी शिकायत तक दर्ज नहीं की गई है। मैंने इस मामले में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से बात की है, लेकिन उन्होंने कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया है। वहीं लिसाड़ी गांव के बसपा नेता हाजी नूर सैफी का कहना है कि दोनों ही संप्रदायों के लोग यहां शांति से रहते रहे हैं। लेकिन कुछ लोग यहां सद्भाव को बिगाड़ रहे हैं। इस मामले में निष्पक्ष जांच जरूरी है।
नहीं हैं पलायन के हालात : वहीं रिपोर्ट दर्ज न करने के आरोपों को पुलिस ने नकार दिया है। कोतवाली के पुलिस क्षेत्राधिकारी दिनेश शुक्ला ने कहा,”परिवारों को पलायन के पोस्टर लगाने के बजाय अपनी शिकायत के साथ वरिष्ठ अधिकारियों से संपर्क करना चाहिए। इस मामले में गांव के ग्रामीणों के बीच बैठक करवाकर शांति बनाए रखने की कोशिश की गई है।”
अगर निर्दोष हैं तो फरार क्यों है? : मुस्लिम परिवारों के पलायन के मुद्दे पर मेरठ के एसएसपी राजेश पांडेय ने ऐसी किसी भी स्थिति से इंकार किया। उन्होंने कहा,”एक दुकानदार और उनके पड़ोसी में झगड़ा हुआ था। दो लोगों के इस झगड़े को साम्प्रदायिक रूप भी देने की कोशिश की गई। जिन लोगों ने मारपीट की थी, हमला किया था, उनके खिलाफ मुकदमा लिखा गया। जब गिरफ्तारी के लिए दबिश दी जाने लगी, तो दबाव बनाने के लिए एक कागज अपने दरवाजे पर चिपका दिया गया है। पलायन जैसी कोई बात नहीं है। पुलिस पर दबाव बनाने के लिए ऐसा किया जा रहा है। वहां कोई ऐसी स्थिति नहीं है कि उन्हें वहां से जाने की आवश्यकता पड़े। जब किसी मुजरिम के यहां दबिश दी जाती है तो गिरफ्तारी से बचने के लिए वह खुद ही परिवार के साथ भाग जाता है। उसमें पलायन वाली बात तो कोई होती नहीं है। अगर वह निर्दोष हैं तो फरार क्यों हैं?”