‘मेरी दवा तो हो रही, कैसे होगा गरीबों के कैंसर का इलाज’

निर्भय कुमार पांडेय

‘मेरी बीमारी की दवा तो हो रही है शर्मा, क्योंकि हमारे पास कई साधन हैं, पर उनकी दवा कौन कराएगा, जिनके पास साधन नहीं हैं। मेरी अंतिम इच्छा है कि ऐसे सेंटर की स्थापना की जाए जहां पर गरीबों का कैंसर का इलाज मुफ्त में हो’। ये बातें भारत के पूर्व प्रधानमंत्री व समाजवादी पार्टी के प्रखर नेता चंद्रशेखर ने अंतिम दिनों में अपने राजनीतिक सलाहकार और वर्तमान में युवा भारती ट्रस्ट के महासचिव एचएन शर्मा से कही थीं। पूर्व प्रधानमंत्री ने कमजोर तबकों के उत्थान के लिए ‘युवा भारती ट्रस्ट’ की स्थापना की थी। चंद्रशेखर की इस अंतिम इच्छा को पूरा करने के लिए ट्रस्ट से जुड़े एचएन शर्मा पिछले कई सालों से प्रयासरत थे। पिछली 11 जनवरी को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के राष्ट्रीय कैंसर संस्थान और युवा भारत ट्रस्ट के बीच एक समौझते (एमओयू) पर करार हुआ। इस समझौते के तहत चंद्रशेखर भवन में चंद्रशेखर कैंसर केयर सेंटर बनाया जाना है। लेकिन एचएन शर्मा का आरोप है कि चंद्रशेखर के परिजन अब इस काम में बाधा डाल रहे हैं। वे इस भवन पर कब्जा जमाना चाहते हैं और अपनी कंपनी का दफ्तर खोलना चाहते हैं।

शर्मा ने आगे बताया कि ट्रस्ट के पदाधिकारियों के साथ हुई बैठक में फैसला लिया गया था कि भवन में एक कैंसर सेंटर खोला जाए। इसके बाद नीति आयोग की योजना के अनुसार एम्स के डॉक्टरों से संपर्क साधा गया। बाद में एम्स प्रशासन ने सेंटर खोलने की हामी भर दी। जिसके बाद नीति अयोग के पदाधिकारियों की अध्यक्षता में एक बैठक आयोजित हुई। बैठक में सेंटर खोलने का फैसला किया गया। बाद में सेंटर खोलने की प्रक्रिया शुरू हुई। लेकिन बीती 20 फरवरी को पूर्व प्रधानमंत्री के परिवार के सदस्यों ने भवन में पहुंच कर ताला जड़ दिया, जिसके बाद से डॉक्टर हर दिन आते जरूर हैं, लेकिन सेंटर का निर्माण कार्य नहीं कर पा रहे हैं।

यह है आरोप
युवा भारती ट्रस्ट के अध्यक्ष पीएस प्रसाद का आरोप है कि बीते दिनों चंद्रशेखर के परिवार वाले उनके बेटे और सांसद नीरज शेखर और भतीजे डॉक्टर नवीन सिंह आइटीओ स्थित 13बी, भारती युवा ट्रस्ट, चंद्रशेखर भवन में पहुंचे और ताला जड़ दिया। विरोध करने पर कहा कि इस संपत्ति पर उनका अधिकार है। पीएस प्रसाद का कहना है कि संपत्ति युवा भारती ट्रस्ट की है, जिसकी स्थापना खुद चंद्रशेखर ने की थी। ट्रस्ट का पंजीकरण 2002 में हुआ था। नीरज शेखर और डॉक्टर नवीन सिंह में से कोई भी इस ट्रस्ट के सदस्य नहीं हैं। आरोप हैं कि इसके बावजूद चंद्रशेखर के परिजन अवैध तरीके से कब्जा जमाना चाह रहे हैं।

किराएदार से भी अभद्र व्यवहार
ट्रस्ट के सचिव एचएन शर्मा ने बताया कि कैंसर सेंटर को संचालित करने में वित्तीय कठनाई नहीं हो, इसके मद्देनजर भवन के प्रथम तल को एटीसी नामक एक निजी कंपनी को किराए पर दे दिया गया है। आरोप है कि बीती 20 फरवरी को डॉक्टर नवीन सिंह अपने समर्थकों के साथ आए और कंपनी की महिला अधिकारी हरप्रीत कौर के साथ अभद्र व्यवहार किया और सामान बाहर फेंक देने की धमकी दी। साथ ही कंपनी के मुख्य गेट पर ताला जड़ दिया। इसकी शिकायत उन्होंने आइपी स्टेट थाना पुलिस से कर दी है।

ट्रस्ट के नाम पर धोखाधड़ी का आरोप
एचएन शर्मा ने बताया कि युवा भारती ट्रस्ट के नाम पर बैंक में खाता खुलवा कर पैसे जमा करवाने का आरोप डॉक्टर नवीन सिंह पर है। इस संबंध में आनंद विहार थाने में मामला दर्ज करवाया गया था। यह मामला पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के निर्देश पर 20 दिसंबर 2012 में दर्ज करवाया गया था। आरोप लगा था कि उन्होंने बिना चंद्रशेखर को जानकारी दिए खाते में लाखों रुपए जमा करवाए थे। यह भी आरोप है कि जिस लेटरपैड का इस्तेमाल नवीन सिंह करते हैं। उस पर उन्होंने ट्रस्ट की बजाय अपनी कंपनी का नंबर लिखा हुआ है।

भवन में खोलना चाहते हैं अपना कार्यालय
ट्रस्ट से जुड़े पदाधिकारियों का कहना है कि डॉक्टर नवीन सिंह की एक निजी कंपनी है, जिसके वे निदेशक हैं। वे चंद्रशेखर भवन में अपनी कंपनी का कार्यालय खुलवाना चाहते हैं। इस संबंध में उन्होंने ट्रस्ट के सचिव एचएन शर्मा को एक पत्र भी लिखा था, लेकिन शर्मा ने अपनी असहमति जता दी थी। बावजूद इसके वे बार-बार दबाव बना रहे थे।

2014 में बन कर तैयार हुआ है भवन
आइटीओ स्थित युवा भारती ट्रस्ट, चंद्रशेखर भवन साल 2014 में बन कर तैयार हुआ था। बेसमेंट के अलावा चार तल का यह भवन है, जिसमें प्रथम तल पर एक निजी कंपनी का दफ्तर है, जबकि अन्य हिस्से में एम्स के सहयोग से कैंसर सेंटर खोला जाना है, जहां पर गरीबों का इलाज किया जाएगा। समझौता होने के बाद एम्स प्रशासन ने सेंटर खोलने की तैयारी शुरू कर दी थी। इससे जुड़ा पोस्टर और होर्डिंग भी भवन के मुख्य गेट पर लगाया जा रहा है।

यंग इंडिया मैगजीन के नाम पर है संपत्ति
इस संबंध में चंद्रशेखर के भतीजे डॉक्टर नवीन सिंह का कहना है कि यह संपत्ति यंग इंडियन मैगजीन के नाम पर है। यहां समाचार पत्र के अलावा किसी भी अन्य प्रकार के दफ्तर खोलने की अनुमति नहीं है, लेकिन एक निजी कंपनी का दफ्तर अवैध रूप से चलाया जा रहा है। इसी का विरोध किया जा रहा है। युवा भारती ट्रस्ट के पदाधिकारियों को यह अधिकार किसने दिया कि उन्होंने दफ्तर खुलवा दिया? इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यह उनके संज्ञान में नहीं है कि भवन में कैंसर सेंटर खोला जा रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *