मैक्स अस्पताल के नौ डॉक्टरों और दो नर्सों को भेजा गया नोटिस, 15 दिन में मांगा जवाब
दिल्ली मेडिकल काउंसिल ने दो जुड़वां बच्चों में से एक जीवित बच्चे को भी मृत घोषित करने के सिलसिले में कथित चिकित्सा लापरवाही के मामले में शालीमार बाग स्थित मैक्स अस्पताल के नौ डॉक्टरों और दो नर्सों को एक नोटिस भेजा है। गौरतलब है कि अस्पताल ने गलती से इन्हें मृत घोषित कर दिया था। डीएमसी ने 20 दिसंबर को नोटिस भेजा और 15 दिन में जवाब देने को कहा है। काउंसिल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक के जरिए नौ डॉक्टरों और दो नर्सों को नोटिस भेजा गया है। उन्होंने बताया कि इससे पूर्व, मीडिया खबरों के आधार पर, हमने मैक्स अस्पताल से एक जवाब मांगा था और उन्होंने करीब एक सप्ताह पहले इसका जवाब दिया था। इस बार में हमने डॉक्टरों और नर्सों से व्यक्तिगत स्तर पर जवाब मांगा है। डीएमसी ने नोटिस में कहा है कि इस सिलसिले में शालीमार बाग स्थित मैक्स अस्पताल के डॉक्टरों की ओर से कथित चिकित्सा लापरवाही को लेकर दिल्ली मेडिकल काउंसिल ने मीडिया खबरों पर स्वत: संज्ञान लिया। चिकित्सा संस्था ने यह भी कहा कि वह कथित लापरवाही की जांच कर रही है।
राष्टÑीय चिकित्सा आयोग विधेयक को मिली मंजूरी, आइएमए ने किया विरोध
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्टÑीय चिकित्सा आयोग विधेयक 2017 को मंजूरी दे दी है। लेकिन इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) ने इस बिल में कई खामियां गिनाते हुए इसका विरोध किया है। आइएमए का कहना है कि इसके कई प्रावधान डॉक्टरी पेशे के हित में नहीं हैं।प्रस्तावित आयोग में 20 फीसद निर्वाचित सदस्य और 80 फीसद नियुक्त यानी मनोनीत सदस्य होगें। यही कारण है कि इसका वांछित लोकतांत्रिक प्रतिनिधि चरित्र नहीं होगा। प्रत्येक बोर्ड में केवल तीन नामांकित सदस्य होंगे, एक अध्यक्ष और दो सदस्य। इन्हें किसी मेडिकल कॉलेज को मान्यता देने या रद्द करने का पूर्ण अधिकार होगा। जबकि अभी ये शक्तियां 130 सदस्यों के पास निहित हैं।
इस बारे में जानकारी देते हुए, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन आइएमए व हार्ट केयर फाउंडेशन आॅफ इंडिया के अध्यक्ष डॉक्टर केके अग्रवाल व आइएमए के मानद महासचिव डॉक्टर आर एन टंडन ने एक साझे बयान में कहा कि इस अधिनियम के तहत आयोग के कार्य सामान्य, सलाहकार और कॉस्मेटिक किस्म के हैं। इस अधिनियम के प्रावधानों के तहत संचालित निजी मेडिकल संस्थानों और डीम्ड विश्वविद्यालयों में 40 फीसद से अधिक सीटों के संबंध में शुल्क निर्धारित करने के लिए आयोग दिशा-निर्देश तैयार करेगा। इसका कार्यात्मक रूप से अर्थ है कि शुल्क विनियमन निजी मेडिकल संस्थानों और मान्य विश्वविद्यालयों में अधिकतम 40 फीसद सीटों तक सीमित रहेगा। इस बात को समझना मुश्किल है कि इतनी सीमा क्यों है और इसके अलावा यह शून्य से 40 फीसद तक कुछ भी हो सकता है। यह विरोधाभासी है।