मोदी मंत्रिमंडल में कल होगा फेरबदल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को सुबह दस बजे अपनी मंत्रिपरिषद में फेरबदल करेंगे। इस फेरबदल में नए सहयोगी दलों समेत भाजपा से भी कुछ नए चेहरों को शामिल किया जा सकता है। मई 2014 में मोदी सरकार के केंद्र में सत्ता संभालने के बाद मंत्रिमंडल में यह तीसरा फेरबदल होगा। सूत्रों के मुताबिक, रविवार को शपथ ग्रहण समारोह के लिए राष्ट्रपति भवन में प्रक्रिया शुरू हो गई है। इसके बाद प्रधानमंत्री को ब्रिक्स सम्मेलन में शामिल होने के लिए चीन जाना है। उनके स्वदेश वापसी पर पितृपक्ष प्रारंभ हो जाएगा और इस अवधि में आमतौर पर विस्तार नहीं किया जाता। मंत्रिमंडल में होने वाले फेरबदल से पहले चार मंत्रियों राजीव प्रताप रूडी, संजीव कुमार बालियान, फग्गन सिंह कुलस्ते और महेंद्र नाथ पांडे ने अपने इस्तीफे दे दिए। एमएसएमई मंत्री कलराज मिश्र के इस्तीफे को भी तय माना जा रहा है। इसी तरह पंजाब प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विजय सांपला ने भले अभी अपने इस्तीफे का एलान नहीं किया है पर एक व्यक्ति एक पद की पार्टी की नीति के हिसाब से अब उन्हें भी मंत्री पद छोड़ना पड़ सकता है।
भाजपा सूत्रों के मुताबिक जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने भी इस्तीफे की पेशकश की है। हालांकि शुक्रवार को उनकी तरफ से सफाई दी गई कि वे इस बारे में कुछ भी कहने के लिए अधिकृत नहीं हैं। इस बारे में सवाल का जवाब केवल अमित शाह दे सकते हैं। चर्चा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके कामकाज से संतुष्ट नहीं हैं। जहां तक कलराज मिश्र का सवाल है, उन्हें 75 वर्ष की उम्र के मोदी फार्मूले के हिसाब से नजमा हेपतुल्ला के साथ ही रिटायर होना था, पर उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के मद्देनजर तब उनसे इस्तीफा नहीं लिया गया था। उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण मतदाताओं की नाराजगी का पार्टी तब खतरा मोल नहीं लेना चाहती थी।
इस बीच उमा भारती ने अपने ट्वीट में लिखा- कल से चल रही मेरे इस्तीफे की खबरों पर मीडिया ने प्रतिक्रिया पूछी। इस पर मैंने कहा कि मैंने यह सवाल सुना ही नहीं, न सुनूंगी, न जवाब ही दूंगी। अपने अगले ट्वीट में वे लिखती हैं- इस बारे में या तो राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह या अध्यक्ष जी जिसको नामित करें, वही बोल सकते हंै। मेरा इस पर बोलने का अधिकार नही है। कलराज मिश्र को भी नजमा की तरह राज्यपाल बनाया जा सकता है। रामनाथ कोविंद के राष्ट्रपति बन जाने के बाद से बिहार के राज्यपाल का पद खाली पड़ा है।
ऐसी अटकलें हैं कि भाजपा महासचिव भूपेंद्र यादव, पार्टी उपाध्यक्ष विनय सह्रस्त्रबुद्धे के अलावा प्रह्लाद पटेल, सुरेश अंगडी, सत्यपाल सिंह और प्रह्लाद जोशी को भी मंत्री बनाया जा सकता है। जबकि रूडी को भूपेंद्र यादव की जगह अमित शाह संगठन में शामिल कर सकते हैं। बिहार में भाजपा के साथ गठबंधन सरकार बनाने वाली जद (एकी) के भी मंत्रिमंडल में शामिल होने की संभावना है और जद (एकी) से आरसीपी सिंह व संतोष कुमार के मंत्री बनाए जाने की चर्चा है।
अन्नाद्रमुक नेता एम थंबीदुरै ने गुरुवार को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात की थी। ऐसी संभावना है कि अगर अन्नाद्रमुक केंद्र सरकार में शामिल होने का फैसला करती है तो इस पार्टी से थंबीदुरै के अलावा पी वेणुगोपाल और वी मैत्रेयन मंत्रिपरिषद में शामिल हो सकते हैं। हालांकि अन्नाद्रमुक ने औपचारिक रूप से इसकी अभी तक कोई पुष्टि नहीं की है।
वर्तमान में केंद्रीय मंत्रिमंडल में प्रधानमंत्री समेत 73 सदस्य हैं और कैबिनेट में मंत्रियों की संख्या 81 से अधिक नहीं हो सकती। एक तरफ कैबिनेट में कुछ रिक्तियां हैं तो दूसरी तरफ कुछ वरिष्ठ मंत्री दो मंत्रालयों का प्रभार संभाले हुए हैं। अरुण जेटली के पास वित्त मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय दोनों का प्रभार है तो हर्षवर्द्धन, स्मृति ईरानी और नरेंद्र सिंह तोमर के पास भी अतिरिक्त प्रभार है। जेटली ने गुरुवार को ही संकेत दे दिया था कि अब वे ज्यादा दिन रक्षा मंत्री नहीं रहेंगे।
इस विस्तार में भाजपा की तरफ से चुनाव वाले राज्यों हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक और गुजरात को तरजीह मिलने के संकेत हैं। हिमाचल से जगत प्रकाश नड्डा पहले ही कैबिनेट मंत्री हैं। गुजरात से भी यों कई मंत्री पहले से हैं, पर अब नरेंद्र मोदी तकनीकी रूप से गुजरात के बजाय उत्तर प्रदेश के प्रतिनिधि हैं। उत्तराखंड से पार्टी के दलित सांसद के पहले से ही राज्यमंत्री होने के कारण रमेश पोखरियाल निशंक का मंत्री पद का सपना इस बार भी अधूरा रह सकता है। जहां तक बागपत के सांसद सत्यपाल सिंह का सवाल है, उन्हें जगह देने के लिए इलाके के जाट मंत्री संजीव बालियान से इस्तीफा लिया गया है। यह बात अलग है कि आरएसएस के लोग पार्टी के हित में बालियान को सत्यपाल से ज्यादा उपयोगी मानते हैं।
इस्तीफे की पेशकश खतौली रेल दुर्घटना के बाद सुरेश प्रभु ने भी की थी। पर प्रधानमंत्री ने उन्हें इंतजार करने की सलाह दी थी। चर्चा है कि उन्हें रेल से हटा कर किसी दूसरे मंत्रालय में भेजा जाएगा। इसी तरह निर्मला सीतारमण का विभाग बदले जाने की भी चर्चा तेज है। 2019 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए इस फेरबदल को अंतिम और अहम माना जा रहा है।