मोदी मंत्रिमंडल विस्तार आज, कई नए चेहरे शामिल किए जाने के आसार, कुछ को मिलेगी पदोन्नति

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल और विस्तार करेंगे। राष्ट्रपति भवन में सुबह 10 बजे नए मंत्रियों को शपथ दिलाई जाएगी। फेरबदल और विस्तार केमद्देनजर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और गृह मंत्री राजनाथ सिंह के घर शनिवार को दिन भर गतिविधियां चलती रहीं। शाम को अमित शाह ने प्रधानमंत्री से मुलाकात की और सूची को अंतिम रूप दिया गया। देर रात नौ नए नाम सामने आए, जिन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने पर सहमति बनी है। पूर्व आइएफएस अधिकारी हरदीप पुरी, मुंबई पुलिस के पूर्व प्रमुख सत्यपाल सिंह और सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी अल्फोंस कन्नाथनम समेत इन नए चेहरों को 2019 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर नतीजे देने के उद्देश्य से सामने लाया गया है। रक्षा मंत्रालय में पूर्णकालिक मंत्री के तौर पर नया नाम सामने आएगा।  नए चेहरों में बिहार से भाजपा सांसद अश्विनी कुमार चौबे, मध्य प्रदेश से वीरेंद्र कुमार, उत्तर प्रदेश से शिव प्रताप शुक्ला, बिहार से ही पूर्व केंद्रीय गृह सचिव राज कुमार सिंह, कर्नाटक से अनंत कुमार हेगड़े और राजस्थान से गजेंद्र सिंह शेखावत के नाम तय बताए जा रहे हैं। नए चेहरों को अहम मंत्रालयों में रणनीतिक रूप से लाया जा रहा है। लोगों तक सीधे पहुंच बनाने पर मोदी सरकार जोर दे रही है। लोकसभा चुनाव 2019 से पहले का यह बड़ा फेरबदल

माना जा रहा है। मोदी मंत्रिमंडल के कुल छह मंत्रियों का इस्तीफा लिया जा चुका है। उन सभी को संगठन में या प्रदेश स्तर पर नेतृत्व में जिम्मेदारी दी जाएगी। केंद्रीय मंत्री कलराज मिश्र ने शनिवार सुबह प्रधानमंत्री से मिल कर उन्हें अपना इस्तीफा सौंपा। मिश्र को राज्यपाल बनाए जाने की संभावना जताई जा रही है।
ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल, पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और दूरसंचार मंत्री मनोज सिन्हा को सरकार में अच्छा प्रदर्शन करने वाले नेताओं के रूप में देखा जाता है। इनमें से कुछ को पदोन्नत किया जा सकता है। इस समय दो बड़े मंत्रालयों – वित्त व रक्षा का काम संभाल रहे अरुण जेटली के पास एक ही मंत्रालय रह जाएगा। नितिन गडकरी फिलहाल सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्री हैं। उन्हें अधिक जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। हाल में हुई रेल दुर्घटनाओं की नैतिक जिम्मेदारी लेने वाले और इस्तीफे की पेशकश करने वाले रेलमंत्री सुरेश प्रभु को किसी अन्य मंत्रालय में भेजा जा सकता है। कुछ अन्य मंत्रियों के विभाग बदले जा सकते हैं।

शनिवार रात तक सहयोगी जनता दल (एकी) और अन्नाद्रमुक के मंत्रिमंडल में शामिल होने को लेकर अनिश्चितता बनी रही। अन्नाद्रमुक की अंदरूनी कलह जारी है। अन्नाद्रमुक नेतृत्व टीटीवी दिनाकरण की बगावत से जूझ रहा है। अन्नाद्रमुक के नेता थंबीदुरै ने शुक्रवार को अमित शाह से मुलाकात की थी। दूसरी ओर, जद (एकी) नेता नीतीश कुमार यह कहते हुए भाजपा नेतृत्व पर दबाव बनाते रहे कि उन्हें मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर कोई न्योता नहीं मिला है। दरअसल, शुरुआती बातचीत के मुताबिक ही वे अपनी पार्टी के दो नेताओं के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह मांगते रहे। जबकि, भाजपा नेता उनकी पार्टी से एक पद देना चाहते हैं। दबाव दोनों ही पार्टियों ने एक-दूजे पर बनाया। नीतीश का तर्क है कि जद (एकी) राजग का सबसे बड़ा साझीदार है। रामविलास पासवान की लोकजनशक्ति पार्टी और उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएसपी के केंद्र में एक मंत्री होने के मुकाबले उनका हक ज्यादा बनता है।

वहीं, भाजपा नेतृत्व को लगता है कि संख्याबल के आधार पर जद (एकी) को दो पद देने के बाद शिवसेना और कुछ अन्य पार्टियां भी अधिक पदों के लिए मोलभाव न करने लगें। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के साथ दिन भर मुलाकात करने वालों में शामिल रहे महासचिव भूपेंद्र यादव, पार्टी के उपाध्यक्ष विनय सहस्रबुद्धे, प्रह्लाद पटेल, सुरेश अंगदी, सत्यपाल सिंह, अनुराग ठाकुर, शोभा करंदलाजे, महेश गिरी, प्रह्लाद जोशी, अश्विनी चौबे और परवेश साहिब सिंह वर्मा। यादव और सहस्रबुद्धे राज्यसभा सदस्य हैं और उन्हें संगठन का व्यक्ति माना जाता है। प्रह्लाद पटेल मध्य प्रदेश से भाजपा के तेजतर्रार नेता हैं। जोशी, करंदलाजे और अंगदी कर्नाटक से लोकसभा सांसद हैं, जहां विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। सत्यपाल सिंह उत्तर प्रदेश के बागपत से सांसद हैं और परवेश वर्मा पश्चिम दिल्ली से सांसद हैं। अनुराग ठाकुर हिमाचल प्रदेश से सांसद हैं और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के पुत्र हैं।  जिन केंद्रीय मंत्रियों ने फेरबदल से पहले इस्तीफा दिया है, उनके नाम हैं- कलराज मिश्र, बंडारु दत्तात्रेय, राजीव प्रताप रूडी, संजीव कुमार बाल्यान, फग्गन सिंह कुलस्ते और महेंद्रनाथ पांडे। उमा भारती के इस्तीफे की चर्चा चल रही थी। लेकिन फैसला उनका विभाग बदले जाने के रूप में किया गया। अहम रक्षा सौदों के चलते रक्षा मंत्री का पद बेहद संवेदनशील है। साथ ही पाकिस्तान के साथ सीमा पर तनाव और चीन के साथ बनते-बिगड़ते रिश्तों के बीच पूर्णकालिक रक्षा मंत्री की जरूरत महसूस की जा रही है। पिछले तीन साल के दौरान करीब एक साल रक्षा मंत्रालय का कार्यभार जेटली के पास अतिरिक्त प्रभार के रूप में रहा है। रक्षा मंत्रालय में लंबे समय तक स्थायी मंत्री नियुक्त नहीं करने पर सरकार की आलोचना भी हुई।

फेरबदल पर कांग्रेस ने उठाए सवाल

केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार और फेरबदल को लेकर कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं। पार्टी नेतृत्व ने सवाल उठाया कि क्या जिन मंत्रियों ने इस्तीफे दिए हैं या जिन्हें हटाया जा सकता है, उनका भ्रष्टचार के मामलों से कोई संबंध है? अगर फेरबदल में कामकाज का कोई पैमाना है तो कितने मंत्रियों को स्वतंत्र रूप से काम करने की छूट मिली हुई है? कांग्रेस नेताओं का दावा है कि मंत्रियों के अधिकार प्रधानमंत्री ने समेट रखे हैं। कांग्रेस के महासचिव गुलाम नबी आजाद ने कहा कि समीक्षा तो प्रधानमंत्री को अपनी करनी चाहिए। प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि मंत्रिमंडल में मंत्री सिर्फ नाम के हैं। अधिकार प्रधानमंत्री कार्यालय के पास है।

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