म्यांमार सेना द्वारा रोहिंग्या महिलाओं के साथ रेप के सूबत, शरीर पर जख्म के निशान दे रहे जुर्म की गवाही
बांग्लादेश के शरणार्थी शिविरों में रोहिंग्या मुस्लिम महिलाओं का इलाज कर रहे डॉक्टरों ने उनके शरीर पर जख्म के निशान देखे हैं। कॉक्स बाजार और दूसरे शरणार्थी शिविरों में महिलाओं का इलाज कर रहे यूएन के डॉक्टरों और हेल्थ वर्करों ने कहा कि महिलाओं के शरीर पर जख्म उनके साथ हुए रेप की निशानी हैं। समाचार एजेंसी रायटर के मुताबिक रायटर के मुताबिक डॉक्टरों के इस बयान के बाद रोहिंग्या महिलाओं के साथ म्यांमार आर्मी द्वारा छेड़ छाड़, यौन हिंसा और गैंगरेप के आरोपों को और बल मिला है। रायटर ने बांग्लादेश के कॉक्स बाजार में, जहां रोहिंग्या शरणार्थियों का जमावड़ा सबसे अधिक है, 8 हेल्थ वर्करों से बात की। इन लोगों ने बताया कि अगस्त से वे रेप की शिकार लगभग 25 महिलाओं का इलाज कर चुके हैं।
रोहिंग्या शरणार्थियों के इलाज में लगे डॉक्टरों ने कहा कि हालांकि वे पीड़ितों के बयान की पुष्टि नहीं कर सकते हैं। लेकिन सभी पीड़ितों की कहानी, सभी का बयान, उनके शरीर पर दिखे जख्म के निशान एक जैसे हैं। इन महिलाओं का आरोप है कि उनकी ये हालत म्यांमार आर्मी के जवानों ने की है। बता दें कि संयुक्त राष्ट्र के डॉक्टर और हेल्थ वर्कर कथित रूप से रेप जैसी घटनाओं पर बयान नहीं देते हैं, जिसमें कि एक देश की सेना शामिल है।संयुक्त राष्ट्र की संस्था इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन फॉर माइग्रेशन द्वारा चलाये जा रहे एक क्लिनिक के डॉक्टरों ने कहा कि लेडा में, जहां कि बड़ी संख्या में रोहिंग्या रह रहे हैं, उन्होंने सैकड़ों महिलाओं की जख्मों का इलाज किया है। इन महिलाओं ने डॉक्टरों को बताया कि कि ये यौन हमले उनपर आर्मी द्वारा किये गये हैं। डॉ निरंता कुमार ने बताया कि हालांकि अगस्त के बाद रेप की घटनाओं में कमी आई है लेकिन जिन महिलओं का इलाज उन्होंने किया उनके शरीर पर जख्म के गहरे निशान हैं।
लेडा क्लिनिक में डॉक्टरों ने रॉयटर को बिना पहचान बताये तीन महिलाओं की फाइलें दिखाई। इसमें से एक 20 साल की महिला का उसके साथ रेप के 10 दिन बाद इलाज किया गया था। इस महिला ने बताया कि म्यांमार में एक सैनिक ने उसके साथ रेप किया था। हाथ से लिखे नोट्स में इस महिला ने बताया कि रेप से पहले उसके बाल खींचे गये, बंदूक से उसकी पिटाई की गई। डॉक्टरों ने कहा कि जांच में ये भी पता चला है कि कई महिलाओं के जननांगों पर चोट किया गया और उनके नाजुक अंगों को जख्मी किया गया। आईओएम की मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर तसनूबा नौरिन ने कहा, ‘हमें स्कीन के निशान मिले हैं, इससे पता चलता है कि बहुत भयावह हमला किया गया, ये एकदम अमानवीय था।’ महिलाओं के साथ हुए जिन अत्याचारों को डॉक्टर तसनूबा नौरिन ने बताया को काफी डरावने और खौफनाक हैं। उन्होंने कहा कि कई मामलों में महिलाओं के जननांगों को क्रूरता से निशाना बनाया गया था, शरीर पर दांत से काटने के निशान थे। कुछ निशान ऐसे थे जिससे पता चलता है कि जननांगों में हथियार डाल दिये थे। हालांकि म्यांमार सरकार ने इस घटनाओं से इनकार किया है।