यहां जलते हैं महादेव के पैर? जानें इस गांव में क्यों नहीं होता है होलिका दहन

होली का त्योहार गुरुवार 1 मार्च को देशभर में बड़ी धूम-धाम से मनाया जाएगा। जहां 1 मार्च की शाम को होलिका दहन होगा, वहीं 2 मार्च को लोग एक-दूसरों को रंग लगाकर होली के इस पावन पर्व को सेलिब्रेट करेंगे। भारत के अलावा होली विदेशों में भी मनाई जाती है। लेकिन भारत में एक ऐसा गांव है जहां होलिका दहन नहीं किया जाता है। इसके साथ ही उस गांव के आसपास कई अन्य गावों में भी होलिका दहन नहीं किया जाता है। आइए आपको बताते हैं उस गांव के बारे में और इसके पीछे क्या मान्यता है आइए जानते हैं –

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में स्थिति बरसी के साथ ही ठोल्ला और बहलोलपुर गांवों में होलिका दहन नहीं किया जाता है। इसका कारण गांव का प्राचीन शिव मंदिर, जिसमें वहां के लोगों की गहरी आस्था है। गांव के लोगों का मानना है कि जब होलिका दहन होगा तो धरती गर्म होगी। जिसके कारण गांव के शिव मंदिर में रहने वाले भगवान शिव के पैर जलेंगे, जिससे भोलेनाथ को कष्ट होगा।

बरसी गांव के शिव मंदिर के बारे में लोगों का मानना है कि वह महाभारत का बना हुआ है, जिसे उस समय दुर्योधन ने बनवाया था लेकिन भीम ने अपनी गदा से उस मंदिर का मुंह पश्चिम दिशा की ओर कर दिया था। महाशिवरात्रि के अवसर पर यहां तीन दिन तक मेला आयोजित होता है, जिसमें दूर-दूर से लोग अपने मन्नत पूरी होने पर गुड़ और कद्दू चढ़ाते हैं।

गांव ठोल्ला फतेहचंदपुर के बुजुर्गों के अनुसार एक बार युवाओं की जिद के बाद होलिका दहन किया गया था। जिसके बाद उस गांव में खेतों में खड़ी गेंहू की फसल जलकर राख हो गई थी और गांव वालों को अन्न के लिए मोहताज होना पड़ा था, जिसे गांव के लोगों ने भगवान शिव के क्रोध का प्रकोप माना था। तब से गांव में होलिका दहन नहीं किया जाता है। हालांकि गांव में होली का त्योहार रंगों से मनाया जाता है।

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