यूपी: इटावा सफारी पार्क के आसपास बंद होंगी व्यावसायिक गतिविधियां

उत्तर प्रदेश में देश-दुनिया के पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए स्थापित किए इटावा सफारी पार्क के आसपास ऐसी किसी भी गतिविधि को संचालित नहीं होने दिया जाएगा जो पार्क के वन्य जीवों के अलावा वन संपदा को नुकसान पहुंचाएगी। इटावा सफारी पार्क के दौरे के दरम्यान उत्तर प्रदेश के वन एवं पर्यटन मंत्री दारा सिंह चौहान के समक्ष पत्रकारों की ओर से यह मुद्दा लाए जाने पर उन्होंने स्पष्ट किया कि इटावा सफारी पार्क को नुकसान पहुंचाने वाली किसी भी गतिविधि को तत्काल बंद कराया जाएगा इसके लिए जिला प्रशासन से भी जरूरी वार्ता होगी।

इटावा सफारी पार्क से सटे हुए एक बड़े भू-भाग पर निर्माण का काम बड़ी तेजी से चल रहा है जबकि शासन के निर्देशानुसार इटावा सफारी पार्क के आसपास किसी भी तरीके का कोई निर्माण नहीं किया जा सकता है। इतना ही नहीं इटावा सफारी पार्क के नजदीकी एक क्रेशर प्लांट भी संचालित हो रहा है जिससे निकलने वाली धूल और प्रदूषण इटावा सफारी पार्क के पेड़ों और वन्यजीवों को खासा नुकसान पहुंचा रही है। क्रेशर प्लांट से पेड़ों की खूबसूरती बर्बाद हो रही है इसलिए सफारी प्रशासन ने निर्णय लिया है प्लांट को बंद कराया जाए अन्यथा इटावा सफारी पार्क के महत्वपूर्ण समझे जाने वाले पेड़ों को खासी तादाद में बड़ा नुकसान सुनिश्चित है ।

साथ ही सफारी के आसपास 10 किलोमीटर क्षेत्र प्रदूषण मुक्त रहेगा। सफारी के आसपास हो रहे हैं निर्माण कार्यों को लेकर सफारी प्रशासन की ओर से जिला प्रशासन को पत्र लिखा गया है। इसमें बताया गया है कि इससे सफारी तथा वहां के वन्यजीवों को नुकसान पहुंच सकता है इसलिए ऐसी व्यवस्था की जाए जिससे सफारी के चारों ओर 10 किलोमीटर तक क्षेत्र प्रदूषण मुक्त रहे। यहां कोई ऐसा प्लांट आदि ना चले जिससे पर्यावरण को खतरा हो और वन्यजीवों को नुकसान पहुंचे। 15 मई को इटावा सफारी पार्क के निदेशक वीके सिंह की ओर से जिलाधिकारी इटावा को भेजे गए सरकारी पत्र में स्पष्ट किया गया है कि केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण के आदेशानुसार 23 नंबवर 2016 को इटावा सफारी पार्क को मिनी जू घोषित किया है जो कि एक संरक्षित क्षेत्र है।

यहां पर यह भी उल्लेखनीय है कि पर्यावरण नियम 2002 के प्रावधानों के अनुसार पार्क के दस किलोमीटर की परिधि में व्यवसायिक निर्माण प्रतिबंधित है। इटावा सफारी पार्क ना केवल इटावा के लिए बल्कि उत्तर प्रदेश के लिए एक रोल मॉडल है। यह उत्तर भारत के प्रमुख सफारी पार्कों में से एक है। सफारी पार्क में सबसे बड़ी खूबसूरती यह है कि इसमें शेर की नस्ल को बढ़ाने के लिए केंद्र है और 5 अन्य सफारियां भी हैं। वो एंटीलोप सफारी, हिरण सफारी, भालू सफारी, तेंदुआ सफारी और शेर सफारी है। यहां पर्यटक को पूरे दिन रोके रखने के लिए तमाम व्यवस्थाएं की गई हैं।

खास बात यह है कि सफारी पार्क में पर्यटक बंद गाड़ी में घूमेंगे और वन्य जीव खुले में विचरण करेंगे। सफारी पार्क के निर्माण का कार्य लगभग पूरा हो गया है। यहां चार सफारियां बनाई गई हैं, जिनमें से तीन में शेर, हिरन व भालू लाए जा चुके हैं। विशेषता यह है कि यहां वन्य जीवों के साथ ही पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए काफी निर्माण कार्य कराया गया है, जिसमें कृत्रिम नदी, पुल तथा अन्य निर्माण कार्य शामिल हैं। सफारी का सबसे बड़ा आकर्षण यहां का मुख्य गेट है, जो बनकर तैयार हो गया है। इस गेट से अंदर जाने पर ऐसा लगेगा कि जैसे जंगल में बने किसी पुराने किले में पर्यटक जा रहे हों। मुख्य गेट के पास भी दो टैंक व एक पुराना रेल इंजन भी रखा गया है, जो सफारी के आकर्षण को बढ़ाते हैं।

इटावा सफारी पार्क के आसपास कुछेक लोगो गैर कानूनी ढंग से निर्माण करने में लग गए हैं जिनको रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाए जाने की जरूरत है। पर्यावरण नियम 2002 के प्रावधानों के अनुसार पार्क के दस किलोमीटर की परिधि में व्यावसायिक निर्माण प्रतिबंधित है। – वीके सिंह, निदेशक, इटावा सफारी पार्क

उत्तर प्रदेश में देश-दुनिया के पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए स्थापित कराए गए इटावा सफारी पार्क के आसपास ऐसी किसी भी गतिविधि को संचालित नहीं होने दिया जाएगा जो पार्क के वन्य जीवों के अलावा वन संपदा को नुकसान पहुंचाएंगी। जरूरत पड़ी तो इसके लिए जिला प्रशासन से भी बात की जाएगी क्योंकि इटावा सफारी पार्क को देश-दुनिया में लोकप्रिय बनाना है।-दारा सिंह चौहान, वन मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार

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