यूपी: किराये पर ट्रैक्टर लेने के पैसे नहीं, बैलों की जगह हल से खेत जोत रहीं बहनें
ऋण छूट और विशेष पैकेज के बावजूद बुंदेलखंड की एक हकीकत यह भी है कि गरीबी की मार झेल रहा एक परिवार खेत में बैलों की जगह खुद को रखकर काम ले रहा है। 60 वर्षीय अच्छेलाल अहरवार की दो बेटियां 13 वर्षीय रवीना और 10 वर्षीय शिवानी बैलों की जगह खुद को रखकर हल से खेत जोत रही हैं। हिन्दुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक मामला झांसी जिले के मऊरानीपुर के बड़ागांव गांव का है। अच्छेलाल के पास इतने पैसे नहीं हैं कि खेत जोतने के लिए ट्रैक्टर किराये पर ले सकें या बैलों की जोड़ी रख सकें, इसलिए वह अपनी बेटियों को लेकर सुबह जल्दी खेत की ओर निकल जाते हैं। अच्छे लाल ने मीडिया को बताया कि वह खेत में तिल की फसल के लिए बीज बो रहे हैं। 10 साल की शिवानी कहती है, ”कुछ अच्छी बारिश और आसमान में बादलों ने अच्छी फसल की उम्मीद जगाई है और इसलिए हमने खुद से यह करने का फैसला किया है। हमने पहले कभी यह काम नहीं किया है।”
इलाके के एक किसान नेता रामाधार निषाद ने बताया कि ऐसा इसलिए है क्योंकि अच्छेलाल पास कोई चारा नहीं है। मऊरानीपुर में रहने वाले एक और किसान नेता शिवनारायण सिंह परिहार ने एचटी तो बताया कि अच्छेलाल बड़ागांव में अपनी पत्नी और बच्चों के साथ एक कच्चे घर में रहता है। उसकी चार बेटियों की शादी हो चुकी है। अच्छे लाल ने बताया कि उसके पास सफेद राशन कार्ड है जिससे उसे एक व्यक्ति को 5 किलो के हिसाब से हर महीने 20 किलो अनाज मिल जाता है। उसने लाल राशन कार्ड के लिए गुहार लगाई है जिससे कि सरकारी आवास और शौचालय आदि योजनाओं का लाभ मिल सके। अच्छेलाल ने बताया उसने बीती 15 मई के तहसील दिवस पर अपना मामला रखा था लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है।
अच्छेलाल के मुताबिक तहसील दिवस पर जिला मजिस्ट्रेट, उप-मंडल मजिस्ट्रेट और अन्य अधिकारी मौजूद थे। मीडिया द्वारा संपर्क किए जाने पर डीएम सहाय अवस्थी उपलब्ध नहीं हो सके, वहीं मुख्य विकास अधिकारी ने बताया कि मामला उनके संज्ञान में नहीं आया है। वह किसान के प्रार्थना पत्र की जांच करेंगे। निषाद ने बताया कि अच्छेलाल के ऊपर कई कर्जदाताओं का करीब डेढ़ लाख रुपये का बकाया है। यहां तक की जो कपड़े वह और उसका परिवार पहनता है, वे अक्सर गांव वालों के दान किए हुए होते हैं। गांव वाले उसे अनाज और कुछ बाकी चीजें समय समय पर देते हैं। अच्छेलाल की दोनों बेटियां रवीना 8वीं और शिवानी 7वीं में गांव के ही स्कूल में पढ़ती हैं। अभी उनकी छुट्टियां चल रही है और खेत में बैलों की जगह काम करने को मजबूर हो रही हैं।