यूपी बीजेपी में गुटबंदी? बनारस में अमित शाह के कार्यक्रमों में नहीं पहुंचे राज्य प्रभारी माथुर

बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह जब बुधवार को बनारस में मीटिंग ले रहे थे, तब यूं तो सभी प्रमुख जिम्मेदार नेता मौजूद रहे। मगर एक बड़े चेहरे की नामौजूदगी चर्चा का विषय रही। यह चेहरा किसी और का नहीं प्रदेश प्रभारी ओम माथुर का था। यूपी में पिछले कुछ महीने से अहम बैठकों से माथुर की नामौजूदगी पार्टी के अंदर और बाहर दोनों जगह चर्चा का विषय है। राजस्थान के रहने वाले ओम माथुर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भरोसेमंद माने जाते हैं। बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष होने के साथ पिछले चार साल से यूपी का प्रभार भी देख रहे हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव की तैयारियों के सिलसिले में दो दिनी दौरे पर पहुंचे अमित शाह के साथ किसी भी वक्त माथुर का नजर न आना कई सवालों को जन्म दे रहा।

सूत्र बता रहे हैं कि प्रदेश प्रभारी ओम माथुर को बीजेपी के संगठन मंत्री सुनील बंसल के कामकाज की शैली रास नहीं आ रही।भले ही वह प्रदेश प्रभारी हैं, मगर तमाम फैसले बगैर उनकी रजामंदी के ही संगठन और सरकार में हो रहे। यह बात माथुर को नागवार गुजर रही। शायद, यही वजह है कि पिछले नौ महीने से उन्होंने पार्टी की प्रमुख बैठकों और कार्यक्रमों में जाना छोड़ दिया है। हाल के महीनों में ओम माथुर ने अमित शाह, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व एनडीए सहयोगियों के साथ आयोजित कई बैठकों में हिस्सा नहीं लिया।

पार्टी महासचिव भूपेंद्र यादव, अरुण सिंह के साथ बुधवार को यूपी पहुंचे अमित शाह का बनारस और मिर्जापुर में प्रोग्राम तय रहा। बनारस में जहां अमित शाह ने सोशल मीडिया वालंटियर्स के साथ बैठक की, वहीं गोरखपुर, काशी और अवध क्षेत्र के नेताओं के साथ उनकी अहम मीटिंग पार्टी रही।मगर अमित शाह के यूपी में रहने के दौरान जब ओम माथुर नजर नहीं आए तो पता करने पर उनकी लोकेशन राजस्थान निकली।जिस वक्त शाह बनारस में मीटिंग ले रहे थे, वस वक्त माथुर राजस्थान में कुछ कार्यक्रमों में नजर आए।

दिलचस्प बात यह है कि ओम माथुर ने जो बैठकें छोड़ीं, उनमें सुनील बंसल, योगी आदित्यनाथ और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पाडेय ने भाग लिया।हालांकि, यूपी में पार्टी के कामकाज को लेकर ओम माथुर की किसी तरह की नाराजगी से प्रदेश प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी इन्कार करते हैं। उन्होंने कहा- “यह सही है कि पिछले कुछ वक्त से माथुर की गतिविधियां यूपी में कम हुई हैं, मगर इसके पीछे दूसरे राज्यों में उनकी व्यस्तता है।ओम माथुर चुनाव के अच्छे रणनीतिकार माने जाते हैं। उनके नेतृत्व में बीजेपी ने विधानसभा चुनाव जीता। वह इस समय अन्य राज्यों की जिम्मेदारियों में व्यस्त हैं। यूपी इकाई जरूरी मुद्दों पर उनका मार्गदर्शन प्राप्त करती है।”

बीजेपी के सूत्र बताते हैं कि ओम माथुर की सबसे बड़े कार्यक्रम में आखिरी मौजूदगी पिछले साल अक्टूबर 2017 में दिखी थी, जब कानपुर में हुए राज्य कार्यपरिषद की बैठक हुई थी। इसके बाद इस साल फरवरी में संघ और अनुषांगिक संगठनों की समन्वय बैठक में हिस्सा लिए थे।मगर इसके बाद से वह प्रमुख बैठकों से दूरी बनाते दिखे।

बीजेपी के एक नेता ने कहा- “यूपी में सत्ता में आने के बाद पार्टी के अंदर गुटबाजी बढ़ी है।तमाम फैसले बगैर उनकी सहमति के लिए जाने से प्रदेश प्रभारी माथुर परेशान हैं। इन सब वजहों के चलते माथुर राज्यसभा, विधान परिषद और फूलपुर, गोरखपुर तथा कैराना लोकसभा उपचुनाव के उम्मीदवारों के चयन के लिए होने वाली बैठक में भी नहीं पहुंचे।बीजेपी की तीनों लोकसभा उपचुनावों में हार हुई। गोरखपुर जैसी सीट भी निकल गई, जिस सीट से योगी आदित्यनाथ का वास्ता रहा, केशव प्रसाद मौर्य भी फूलपुर में हार नहीं रोक सके।भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि माथुर ने राज्य प्रभारी का पद छोड़ने की इच्छा भी शीर्ष नेतृत्व के सामने रख दी है।हालांकि बीजेपी अभी उनका विकल्प नहीं ढूंढ सकी है।

ओम माथुर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भरोसेमंद माने जाते हैं, जब मोदी मुख्यमंत्री हुआ करते थे, तब माथुर गुजरात के प्रभारी होते थे। संघ के पूर्व प्रचारक रह चुके माथुर महाराष्ट्र के चुनाव प्रभारी भी बने थे, जब अक्टूबर, 2014 में बीजेपी को जीत का स्वाद चखने का मौका मिला था। अक्टूबर 2014 में उन्हें यूपी का प्रदेश प्रभारी बनाया गया था।

इन बैठकों से गायब रहे माथुरः 21 अप्रैल को रायबरेली में अमित शाह की मीटिंग में प्रदे, प्रदेश प्रभारी ओम माथुर नहीं दिखे, जबकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रदेश अध्यक्ष महेंद्रनाथ पांडेय मौजूद रहे। इसी दिन प्रदेश मुख्यालय पर शाह की स्टेट कोर कमेटी मेंबर्स की बैठक में भी वह नहीं उपस्थित रहे। 16 अप्रैल को यूपी विधानपरिषद सदस्यों के चुनाव के लिए नामांकन हो रहा था, तब भी माथुर कहीं नजर नहीं आए। 11 अप्रैल को मुख्यमंत्री के आवास पर अमित शाह ने मंत्रियों सहित पार्टी पदाधिकारियों की बैठक ली थी। इससे पहले 14 मार्च को गोरखपुर तथा फूलपुर लोकसभा सीटों पर हार तथा सहकारिता समितियों के चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन की समीक्षा बैठक थी, यहां भी माथुर नहीं दिखे। 13 मार्च को लखनऊ में पार्टी की एक अन्य बैठक मे भी माथुर नहीं दिखे।

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