यूपी में दो-तीन रुपए की कर्जमाफी, गुस्साए किसान

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किसानों की कर्जमाफी को लेकर कई किसान बहुत गुस्से में है। किसानों का कहना है कि 2-3 रुपए के कर्जमाफी सर्टिफिकेट के लिए उन्हें अपना काम छोड़कर जाना पड़ रहा है। बाराबंकी के जाटा गांव के रहने वाले 56 वर्षीय शंभुनाथ जो कि एक दैनिक मजदूर और सीमांत किसान हैं, उन्हें किसान कर्जमाफी के कार्यक्रम में जाने के लिए 218 रुपए का नुकसान झेलना पड़ा। उनका परिवार बेहद गरीब है जिसमें 13 सदस्य हैं। शंभुनाथ जैसे-तैसे परिवार का भरन-पोषण कर पाते हैं। शंभुनाथ का कहना है कि इस कार्यक्रम में जाने के लिए उन्हें 30 रुपए ऑटोरिक्शा वाले को देकर 15 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ा।

12 रुपए के कर्जमाफी सर्टिफिकेट लेने जाने के कारण शंभुनाथ जो एक दिन में मजदूरी करके कमाता है वो वह भी नहीं कमा पाया। एनडीटीवी के अनुसार शंभुनाथ ने कहा कि मैं बैंक मैनेजर के पास जाऊंगा और उससे चिल्लाकर पूछूंगा कि उन्होंने मेरा नाम कर्जमाफी किसानों की लिस्ट में क्यों दिया। शंभुनाथ ने पिछले साल मार्च में 28,812 का कर्ज लिया था लेकिन उसने अपनी बैलों को बेचकर 28,800 रुपए का कर्ज चुका दिया था। शंभुनाथ को बाकी के बचे कर्जे के 12 रुपए भी लौटाने थे जो उसने नहीं दिए थे, इसलिए उसका नाम भी 12 रुपए के लिए कर्जमाफी वाले किसानों की लिस्ट में शामिल था।

बैंक अधिकारियों के मुताबिक शंभुनाथ के कर्जमाफी राशी में कोई गड़बड़ नहीं हुई है। अप्रैल में सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने ऐलान किया था कि मार्च 2016 से पहले कर्ज लेने वाले किसानों का एक लाख रुपए तक का कर्ज माफ किया जाएगा और शंभुनाथ भी इसी कैटेगरी में आता है। इस कार्यक्रम में शंभुनाथ के अलावा ऐसे कई लोग थे जो कि केवल 2-3 रुपए के कर्जमाफी का सर्टिफिकेट लेने के लिए पहुंचे थे। वहीं इस मामले के सामने आने के बाद विपक्षी पार्टियों ने बीजेपी पर निशाना साधा है। समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद नरेश अग्रवाल ने कहा कि सरकार की केवल किसानों की संख्या बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने में रुचि है और यह एक व्यवस्थित धोखाधड़ी है। वहीं यूपी सरकार में उच्च अधिकारी अवनीश अवस्थी ने कहा कि हमें इस प्रकार के एक मामले की जानकारी मिली है, जिसके बाद जिला मजिस्ट्रेट को सूचित कर दिया गया है कि इस प्रकार की कम संख्या वाले कर्ज को सीधा किसान के अकाउंट के जरिए दिया जाए और इन किसानों को कर्जमाफी सर्टिफिकेट लेने के लिए न बुलाया जाए।

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