योगी आदित्यनाथ को केशव प्रसाद मौर्य क्या चुनौती दे पाएंगे?

सीएम योगी आदित्यनाथ ने अति आत्मविश्वास को यूपी में ख़राब प्रदर्शन का कारण बताया. दूसरी तरफ़ डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने संगठन के सरकार से बड़े होने की बात कही.

मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री दोनों ने यूपी में ख़राब प्रदर्शन के अलग-अलग कारण बताए. लेकिन केशव प्रसाद मौर्य के बयान को योगी सरकार के ख़िलाफ़ टिप्पणी के रूप में देखा गया.

केशव प्रसाद मौर्य कहना चाह रहे थे कि यूपी की योगी सरकार पार्टी से बड़ी हो गई है. दूसरी तरफ़ योगी के बयान को इस रूप में लिया गया कि केंद्रीय नेतृत्व अति आत्मविश्वास में था.

इन दोनों के बयानों और अलग-अलग मुलाक़ातों के बाद यूपी में बीजेपी को लेकर कई तरह के सवाल उठने लगे.

इन सवालों के केंद्र में हैं केशव प्रसाद मौर्य और योगी आदित्यनाथ.

योगी कभी कोई चुनाव नहीं हारे हैं. केशव मौर्य सिर्फ़ एक-एक बार विधानसभा और लोकसभा चुनाव जीत सके हैं. केशव वीएचपी,संघ की पृष्ठभूमि से आते हैं. वहीं योगी की पहचान आरएसएस के साये से अलग हिंदुत्व वाली राजनीति की रही है.

योगी आदित्यनाथ 1998 में जब गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गए, तो उनकी उम्र महज़ 26 साल हो रही थी.

क्या केशव प्रसाद मौर्य योगी आदित्यनाथ को चुनौती दे पाएंगे? केशव प्रसाद मौर्य बीजेपी के लिए ज़्यादा अहम हैं या योगी आदित्यनाथ?

यूपी और बीजेपी: कुछ तारीख़ों पर एक नज़र

यूपी में योगी आदित्यनाथ बनाम केशव प्रसाद मौर्य की जो अटकलें लगाई जा रही हैं, उसे समझने के लिए कुछ तारीख़ों पर गौर करते हैं.

  • 4 जून 2024: लोकसभा चुनावी नतीजों में यूपी में बीजेपी के हिस्से आईं 33 सीटें यानी 2019 की तुलना में 29 कम.
  • जून से जुलाई: यूपी में कई जगहों पर प्रशासन और बीजेपी नेताओं के बीच विवाद और बहस होने की ख़बरें आईं.
  • 14 जुलाई 2024: लखनऊ में बीजेपी कार्यसमिति की बैठक हुई.
  • डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य बोले- संगठन, प्रदेश और देश के नेतृत्व के सामने कह रहा हूं- संगठन सरकार से बड़ा है. संगठन से बड़ा कोई नहीं होता है.
  • 16 जुलाई 2024: दिल्ली में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से केशव प्रसाद मौर्य और यूपी प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने की मुलाक़ात.
  • 17 जुलाई 2024: केशव प्रसाद मौर्य एक बार फिर सोशल मीडिया पर कहते हैं- संगठन सरकार से बड़ा. कार्यकर्ताओं का दर्द मेरा दर्द है, संगठन से बड़ा कोई नहीं, कार्यकर्ता ही गौरव है.
  • 17 जुलाई 2024: यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने राज्यपाल से की मुलाकात. राज्यपाल के दफ़्तर की ओर से तस्वीरें साझा कर कहा गया- शिष्टाचार मुलाकात.

यूपी, योगी और अटकलें

बीते डेढ़ महीने में अलग-अलग तारीख़ों पर हुई इन मुलाक़ातों और बयानबाज़ी से अटकलें तेज़ हुई हैं. सवाल ये भी उठ रहा है कि क्या सीएम के तौर पर योगी आदित्यनाथ की कुर्सी सुरक्षित है?

इस सवाल को सबसे पहले बड़े स्तर पर दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान उठाया था.

केजरीवाल ने 11 मई 2024 को एक चुनावी सभा में कहा था, ”अगर ये चुनाव जीत गए तो मेरे से लिखवा लो- दो महीने के अंदर उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बदल देंगे ये लोग. योगी आदित्यनाथ की राजनीति ख़त्म करेंगे, उनको भी निपटा देंगे.”

ऐसे में बीजेपी की अगुवाई में नरेंद्र मोदी के दोबारा सत्ता में आने और यूपी में बीजेपी के ख़राब प्रदर्शन के बाद यही सवाल फिर उठने लगा है.

बीजेपी आलाकमान यूपी में पार्टी की बड़ी जीत ना होने से नाराज़ है. कुछ लोग इसके लिए योगी आदित्यनाथ की तरफ़ इशारा करते हैं और कुछ शीर्ष नेतृत्व की तरफ़.

केशव प्रसाद मौर्य के ताज़ा बयान और सक्रियता को विपक्षी नेता इसी कड़ी से जोड़कर देख रहे हैं.

अखिलेश ने क्या कहा और केशव का जवाब

17 जुलाई को यूपी के पूर्व सीएम और समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने बीजेपी सरकार को घेरने की कोशिश की.

अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा, ”बीजेपी में कुर्सी की लड़ाई की गर्मी में उत्तर प्रदेश में शासन-प्रशासन ठंडे बस्ते में चला गया है.”

अखिलेश ने लिखा, ”तोड़फोड़ की राजनीति का जो काम बीजेपी दूसरे दलों में करती थी, अब वही काम वो अपने दल के अंदर कर रही है. इसीलिए बीजेपी अंदरूनी झगड़ों के दलदल में धँसती जा रही है. जनता के बारे में सोचने वाला बीजेपी में कोई नहीं है.”

अखिलेश के इस ट्वीट पर केशव प्रसाद मौर्य ने जवाब दिया.

मौर्य ने ट्वीट कर कहा, “सपा बहादुर अखिलेश यादव जी, बीजेपी का देश और प्रदेश दोनों जगह मज़बूत संगठन और सरकार है. सपा का पीडीए धोखा है. यूपी में सपा के गुंडाराज की वापसी असंभव है. बीजेपी 2027 विधानसभा चुनाव में 2017 दोहराएगी.”

इसके बाद 17 जुलाई की देर रात अखिलेश यादव ने एक बार फिर ट्वीट कर कहा- लौटकर बुद्धू घर को आए.

योगी की कार्यशैली पर सवाल उठाने वालों में निषाद पार्टी के प्रमुख संजय निषाद भी शामिल रहे.

16 जुलाई को संजय निषाद ने कहा, ”बुलडोज़र माफिया के ख़िलाफ़ इस्तेमाल होना चाहिए. अगर ये बेघर और ग़रीब लोगों के ख़िलाफ़ इस्तेमाल होगा तो एकजुट होकर ये लोग हमें चुनाव में हरवा देंगे.”

योगी आदित्यनाथ की राजनीति में बुलडोज़र की ख़ास अहमियत है. चुनाव प्रचार के दौरान योगी की रैलियों में कई जगहों पर बुलडोजर भी खड़े किए गए थे.

योगी सरकार के दौरान कई जगहों पर बुलडोज़र से कार्रवाई की गई और लोगों के घर गिराए गए.

इससे पहले बीजेपी की सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) की नेता और एनडीए सरकार में मंत्री अनुप्रिया पटेल ने भी योगी आदित्यनाथ से अपनी शिकायत सार्वजनिक की थी.

अनुप्रिया ने योगी को चिट्ठी लिखकर कहा था कि सरकार अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़े लोगों को रोज़गार देने के मामले में भेदभाव कर रही है.

अनुप्रिया की इस चिट्ठी के बाद कुछ जानकारों ने कहा था कि ये योगी आदित्यनाथ के ख़िलाफ़ ज़मीन तैयार की जा रही है.

अनुप्रिया, संजय निषाद और केशव प्रसाद मौर्य तीनों ओबीसी नेता हैं.

दूसरी तरफ़ योगी आदित्यनाथ हैं, जिन पर ‘अगड़ी’ माने जाने वाली जातियों के नेता के तौर पर देखा जाता है.