राजदीप ने दी टीआरपी की नई परिभाषा, लोग बोले- पहले चम्मच चोरों के नाम बताएं

पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने ठंड से ठिठुरती दिल्ली में हुई तमाम मौतों के बाद बेघर लोगों की जिंदगी पर टीवी शो किया। उन्होंने टीवी टुडे चैनल पर अपनी ग्राउंड रिपोर्ट में बताया कि किस तरह एम्स जैसे अस्पताल में मरीजों के तीमारदार खुले आसमान के नीचे सोने को मजबूर हैं। उनके लिए शेल्टर नहीं बना है। इसके अलावा अन्य जगहों पर भी रैन बसेरे के अभाव में लोग खुले में सोने को मजबूर हैं। बताया कि ठंड में उनका क्या दर्द है, वे क्या महसूस कर रहे हैं। उनके इस शो के बारे में ट्विर पर तमाम दर्शकों ने अपनी प्रतिक्रिया जताई। एक यूजर ने लिखा कि-बेघर लोगों की ठंड में मौतों ने पिघलाकर रख दिया। देश के असली मुद्दे पर ध्यान रखने के लिए आपका धन्यवाद। इस पर राजदीप सरदेसाई ने रिट्वीट करते हुए लिखा- ‘‘ हर किसी को टीआरपी की जरूरत होती है। हमें उम्मीद है कि एक न एक दिन टीआरपी का मतलब टीवी रेस्पेक्ट प्वाइंट्स हो जाएगा।”

राजदीप के ट्वीट के बाद जहां तमाम लोगों ने उन्हें इस तरह की रिपोर्ट पर लगातार काम करने की अपील की, वहीं कुछ ने उन्हें ट्रोल भी किया।

संजय ने लिखा-मैने प्रोग्राम देखा। यही असली मुद्दे हैं, जिन्हें हाईलाइट करने की जरूरत है। मगर, ज्यादातर टीवी चैनल बकवास दिखाते हैं।

Rajdeep Sardesai

@sardesairajdeep

Each one to his own. We all need TRPs which, hopefully, should translate into tv ‘respect’ points one day,, https://twitter.com/calvinprinter/status/951488637371170816 

Saw this programme and really these are the real issues which need to be highlighted instead of the usual shouting matches happening on tv news most of the time…

प्रमोद ने कहा-मानवीय दुखों पर स्टोरी भी हमेशा टीआरपी देती है।

And story on human miseries always gets you TRP. And with TRPs come the moolah. So why not? It’s the money that makes the mare go.

अभिमन्यु ने कहा-आपका चैनल भाजपा को सपोर्ट करता है, मगर उतना नहीं जितना रिपब्लिक और टाइम्स नाऊ करते हैं।
Abhimanyu@don2006_ka

But your channel still supports bjp blindly. Slightly better off than republic and times now that’s it. This is true of 99% news channels in India as of today.

जयरमन ने कहा- पत्रकारों को टीआरपी की जगह मूल मुद्दे पर ध्यान देना चाहिए। एक पत्रकार के रूप में वे दुनिया को बदल सकते हैं।

बिनायक ने तंज कसते हुए कहा-चम्मच चुराने वालों का नाम भी अब बता दीजिए

Chammach kisne churai ye batao tum bas

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *