राजनाथ सिंह को भी नहीं थी अमित शाह के प्लान की खबर, ऐलान होते ही निकल गए दफ्तर से घर

दिल्ली स्थित अमित शाह के दफ्तर में जब मंगलवार (19 जून) को जम्मू कश्मीर सरकार के पतन की पटकथा लिखी जा रही थी, उस वक्त गृह मंत्री राजनाथ सिंह नॉर्थ ब्लॉक में पहले तल्ले पर अपने ऑफिस में बैठे थे। जैसे ही मीडिया में बीजेपी द्वारा महबूबा सरकार से समर्थन वापसी की खबरें आई गृह मंत्री अपना दफ्तर छोड़कर आधिकारिक आवास के लिए निकल पड़े। द टेलिग्राफ की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस समय तक राजनाथ सिंह को भी जम्मू कश्मीर पर पार्टी और सरकार के फैसले की जानकारी नहीं दी गई थी। गृह मंत्रालय के दो वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि इस फैसले के बारे में राजनाथ सिंह को बताया ही नहीं गया था। गृह मंत्रालय के अधिकारी बताते हैं कि इस बारे में ना तो राजनाथ सिंह और ना ही जम्मू-कश्मीर में सरकार के वार्ताकार दिनेश्वर शर्मा को महबूबा सरकार से बीजेपी के मोहभंग के बारे में बताया गया था।

जब राम माधव ने महबूबा सरकार से समर्थन वापसी की घोषणा की तो गृह मंत्रालय के अधिकारी भी हैरान रह गये। एक अधिकारी ने कहा, “हमारे बारे में भूल जाइए…हमें तो ऐसा लगता है कि राजनाथ सिंह जी को भी नहीं बताया गया था।” इस फैसले के बाद गृह मंत्रालय में ऐसे माहौल बने कि एक अधिकारी ने यहां तक कहा, “राजनाथ सिंह सरकार में आधिकारिक रुप से नंबर दो हैं, लेकिन केवल कागजों पर।” अधिकारी ने कहा कि नरेंद्र मोदी- अमित शाह की सत्ता में राजनाथ सिंह शायद अकेले ऐसे सदस्य हैं जिन्होंने कई मुद्दों पर सरकार एकदम विपरित तो नहीं लेकिन अलहदा नजरिया जरूर रखा है।

अधिकारियों ने कुछ घटनाएं बताई। द टेलिग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक राजनाथ सिंह इस बात पर जोर दे रहे थे कि कश्मीर में एकतरफा संघर्ष विराम को आगे बढ़ाया जाए, लेकिन नरेंद्र मोदी ने रविवार को इसे खत्म कर दिया। सूत्रों के मुताबिक राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और आर्मी चीफ विपिन रावत संघर्ष विराम बढ़ाने के पक्ष में नहीं थे। वहीं कश्मीर के वार्ताकार दिनेश्वर शर्मा भी सीजफायर को बढ़ाने के पक्ष में थे। इस पूरे घटनाक्रम पर जब उनकी प्रतिक्रिया मांगी गई तो उन्होंने कहा, “मैं इस वक्त श्रीनगर में हूं, मुझे तुरंत इसकी जानकारी मिली है, मैं कोई प्रतिक्रिया नहीं दे सकता हूं।”

सरकारी सूत्र बताते हैं कि पीएमओ में अजित डोभाल का सत्ता के केन्द्र के रूप में उदय ने राजनाथ सिंह के पर कतर दिये हैं। माना जाता है कि आंतरिक सुरक्षा और कश्मीर पर सारे फैसले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ले रहे हैं। एक अधिकारी ने कहा, “गृह मंत्रालय में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार पीएम मोदी के आंख और कान हैं” सुरक्षा तंत्र से सूत्रों का कहना है कि 2019 से पहले सरकार जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों के खिलाफ बड़ा ऑपरेशन चलाना चाहती है।

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