राजनीति ही नहीं, फिल्मी स्क्रिप्ट भी लिखते थे करुणानिधि, डायलॉग से रामचंद्रन को बनाया था स्टार

तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री और डीएमके पार्टी के प्रमुख एम करुणानिधि का निधन हो गया है। वो लंबे समय से बीमार चल रहे थे। वो 94 साल के थे। करुणानिधि पांच बार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री रहे। उन्होंने 14 साल की उम्र में ही राजनीति में प्रवेश कर लिया था। द्रविड़ समाज सुधारक पेरियार से प्रभावित होकर करुणानिधि ने युवाओं की एक टोली बनाई थी जिसका नाम तमिल स्टूडेन्ट्स फेडरेशन था। उनके भांजे मुरासोली मारन उस फेडरेशन में सबसे कम उम्र के सदस्य थे। करुणानिधि तमिल भाषा के पक्षधर थे। इसके प्रचार-प्रसार के लिए वो हाथ से लिखी आठ पन्नों की पत्रिका ‘मनवर नेसां’ निकाला करते थे और 50 लोगों तक नि:शुल्क पहुंचाया करते थे। करुणानिधि की यह कोशिश 1949 में डीएमके पार्टी की स्थापना में काफी सहायक सिद्ध हुई थी।
करुणानिधि हिन्दी विरोध की राजनीति में शुरू से ही सक्रिय रहे। उन्होंने ब्राह्मणवाद का भी विरोध किया। तमिल भाषा पर उनकी अच्छी पकड़ थी। वो इसके बल पर कवि, लेखक नाटककार और तमिल फिल्मों के पटकथा लेखक बन बैठे। उनके डायलॉग का अभिनय कर एमजी रामचंद्रन कॉलीवुड (तमिल फिल्म इंडस्ट्री) के सबसे बड़े स्टार बन गए। करुणानिधि के एक के बाद एक सुपरहिट डायलॉग ने एमजी रामचंद्रन को प्रशंसकों का सुपर स्टार बना दिया। करुणानिधि अक्सर फिल्मों की सक्रीनप्ले में द्रविड़ आंदोलन और समाज सुधार की बातें डाल दिया करते थे। इससे दर्शकों पर द्रविड़ आंदोलन के प्रति खास नजरिया बना। यूं कहें कि करुणानिधि ने फिल्मों के जरिए द्रविड़ आंदोलन को हवा दी थी। यही वजह है कि 1967 में राज्य से कांग्रेस की सत्ता ऐसी उखड़ी जो फिर कभी लौटकर नहीं आई। साल 1957 में करुणानिधि 33 साल की उम्र में पहली बार विधायक बने।
डीएमके संस्थापक सी एन अन्नादुरई 1967 में तमिलनाडु के पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री बने लेकिन दो साल बाद ही उनकी मौत हो गई। तब 45 साल के करुणानिधि राज्य के मुख्यमंत्री बनाए गए। पहली गैर कांग्रेसी सरकार में करुणानिधि लोक निर्माण मंत्री बनाए गए थे। उन्होंने अपने अभिनेता दोस्त एमजी रामचंद्रन को डीएमके में शामिल कर लिया। खुद पार्टी अध्यक्ष बने और उन्हें कोषाध्याक्ष बनाया था लेकिन जब करुणानिधि को लगा कि रामचंद्रन की लोकप्रियता बढ़ रही है तो उन्होंने रामचंद्रन का कद पार्टी में छोटा कर दिया। इससे नाराज एम जी रामचंद्रन ने पार्टी का विभाजन कर ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (एआईएडीएमके) बना लिया।
करुणानिधि ने जब पहली बार राज्य की कमान संभाली थी तब केंद्र में इंदिरा गांधी की सरकार थी। दूसरी बार भी इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं जबकि तीसरी बार जब करुणानिधि सीएम बने थे तब राजीव गांधी पीएम थे। करुणानिधि के चौथी बार पीएम बनने पर नरसिम्हा राव पीएम थे और आखिर में पांचवीं बार जब करुणानिधि साल 2006 में सीएम बने तब मनमोहन सिंह देश के पीएम थे। 1975 में जब इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी लगाई थी तब करुणानिधि अकेले ऐसे सीएम थे जिन्होंने उसका विरोध किया था। इससे गुस्साई इंदिरा ने उनकी सरकार बर्खास्त कर दी थी और डीएमके के सभी बड़े नेताओं को गिरफ्तार करवा दिया था।