राजपाटः खुशफहमी
लालू यादव को सीबीआइ की विशेष अदालत ने चारा घोटाले के दूसरे मामले में दोषी ठहराया तो जद(एकी) और भाजपा के नेताओं को मौका मिल गया राजद पर तीर चलाने का। वे लालू, उनके परिवार और पार्टी पर लगातार हमले बोल रहे हैं। लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री और जद(एकी) के मुखिया नीतीश कुमार ने चुप्पी साध रखी है। राजद के नेताओं, खासकर रघुवंश प्रसाद सिंह ने इसे लालू के साथ अन्याय बता कर सरकार पर हमला बोला है। उनका आरोप है कि केंद्र सरकार की एजंसियां लालू के साथ लगातार सौतेला बर्ताव कर रही हैं। नीतीश ने इस पर भी जुबान नहीं खोली। वे मान कर चल रहे हैं कि उनका कद बड़ा है। वे इस तरह के विवाद में क्यों उलझें। लालू को दोषी अदालत ने ठहराया है। लिहाजा वे अपना समय सूबे के दौरे में लगा रहे हैं।
विभिन्न योजनाओं की समीक्षा करने से लेकर सामाजिक सुधारों के अपने मिशन को आगे बढ़ाने में। यही जताने की मंशा होगी कि बिहार अब विकास की पटरी पर दौड़ने लगा है। पिछले दिनों एक नई घोषणा की थी कि अगले अप्रैल से पहले बिहार में एक भी गांव नहीं बचेगा जहां बिजली नहीं पहुंचेगी। सरकारी योजनाओं और विकास के अलावा समाज सुधार से भी कद बढ़ाने की हसरत है। तभी तो पूर्ण शराबबंदी के बाद बाल विवाह और दहेज प्रथा को भी खत्म करने का इरादा जता रहे हैं।
फिलहाल तो इतना ही संकल्प लिया है कि जिस विवाह में दहेज का लेन-देन होगा, उसमें शरीक नहीं होंगे। लोगों से भी इसी तरह की अपेक्षा रखते हुए अपील की है। उन्हें एक तरफ भाजपा से अपने वजूद के लिए खतरा दिखता होगा तो दूसरी तरफ लालू यादव के साथ बड़ा जनाधार खिसक जाने की चिंता भी सता रही होगी। तभी तो छवि के सहारे लगाना चाहेंगे भविष्य में अपनी नैया पार। वही छवि जो 2005 में भाजपा के साथ गठबंधन से पहली बार हासिल हुई बिहार की सत्ता के बाद बनी थी।