राजपाटः सेमी फाइनल
राजस्थान कहने को दो ध्रुवीय सूबा है। कांग्रेस और भाजपा का ही है यहां प्रभाव। सूबे की सत्ता पर तो भाजपा काबिज है ही, 2014 के लोकसभा चुनाव में उसने सूपड़ा साफ कर दिया था कांग्रेस। तो भी लोकसभा की दो और विधानसभा की एक सीट के लिए होने वाले उपचुनाव ने हालत पतली कर रखी है कांग्रेस के साथ-साथ भाजपा की भी। अजमेर और अलवर की लोकसभा व मांडलगढ़ की विधानसभा सीट पर होना है उपचुनाव। वसुंधरा राजे के लिए ये उपचुनाव प्रतिष्ठा का सवाल बन गए हैं तो कांग्रेस को भी सोचना तो पड़ ही रहा है। एक तो सूबे की सियासी रवायत बन गई है कि कोई भी पार्टी लगातार दो बार सत्ता में नहीं आ पाई दशकों से। इस नाते 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस यहां सत्ता में आने का मंसूबा पाले है। पर उपचुनाव में हार हिस्से आई तो मनोबल टूट सकता है कार्यकर्ताओं का। यह बात अलग है कि पड़ोसी राज्य गुजरात के चुनाव नतीजों के बाद कांग्रेसी खेमे में जोश दिख रहा है। गुजरात में पार्टी के प्रभारी भी तो राजस्थान के अशोक गहलोत ही थे।
फिलहाल कांग्रेस ने अलवर में अपने पूर्व सांसद डॉक्टर करण सिंह यादव को उम्मीदवार घोषित कर भाजपा को उलझन में डाल दिया है। भाजपा तो 2014 की तरह उपचुनाव में भी किसी बाबा को ही खोज रही होगी। महंत चांदनाथ जीते थे तो अब उनके उत्तराधिकारी बाबा बालक नाथ पर ही टिकी है निगाह। जो यादवों की एकपीठ के धर्मगुरु भी हैं। कुछ भाजपाई यहां योग गुरु रामदेव को उतारने का सुझाव दे रहे हैं। वे भी यादव होने के नाते यादव बहुल इस सीट पर मुकाबले को रोचक बना पाएंगे। भले राजस्थान के बजाए बाशिंदे हरियाणा के क्यों न होें। अजमेर सीट पर अब सचिन पायलट लड़ने के मूड में नहीं दिख रहे। लिहाजा मुमकिन है कि पार्टी उनकी मां रमा पायलट के नाम पर सोचे। लेकिन भाजपाई खेमे ने अभी तक परहेज किया है अपने पत्ते खोलने से।