राजपूतों के खिलाफ दर्ज केस वापस लेगी वसुंधरा सरकार
राजस्थान में विधानसभा चुनाव के लिए अब कुछ ही दिनों का समय बाकी बचा है। ऐसे में राज्य सरकार क्षतिपूर्ति में जुट गई है। सरकार ने नाराज राजपूत और गुर्जर समुदाय को लुभाने के लिए हाल के दिनों में दो बड़े फैसले लिए हैं। दोनों ही समुदाय पूर्व में परंपरागत रूप से भाजपा के वोटर रहे हैं। हालांकि यह समुदाय अब भाजपा से खासा नाराज चल रहा है, इसलिए सरकार ने बीते सोमवार (2 जुलाई, 2018) को दो बड़े फैसले लिए। इसमें सबसे पहले राज्य सरकार ने गुर्जरों के लिए ओबीसी और एमबीसी आरक्षण मामले में सफाई दी है। कहा जा रहा है कि सरकार ने आरक्षण मामले में सफाई इसलिए दी है ताकि आगामी सात जुलाई को प्रधानमंत्री के जयपुर दौर पर ये समुदाय प्रदर्शन ना करे। इसके अलावा सोमवार को ही सरकार ने राजपूतों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेने का मन बनाया है। दरअसल पिछले साल जुलाई में नागौर जिले के सनवद गांव में हिंसा के बाद पुलिस ने 24 राजपूतों के खिलाफ केस दर्ज किए थे। इसमें राजपूत समुदाय के बड़े चेहरे गिरिराज सिंह लोटवाड़ा, लोकेंद्र सिंह कलवी के खिलाफ दंगा फैलाने और भीड़ को उकसाने के मामले दर्ज किए गए। इन सभी लोगों ने पुलिस द्वारा राजपूत समुदाय के अपराधी आनंदपाल सिंह के एनकाउंटर के खिलाफ प्रदर्शन किया था।
जानकारी के मुताबिक सोमवार शाम भाजपा के कुछ राजपूत नेताओं ने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से मुलाकात कर समुदाय के लोगों के खिलाफ दर्ज किए मामलों को वापस लेने की मांग की। इन नेता ने सीएम मांग की पुलिस ने निर्दोष लोगों के खिलाफ केस दर्ज किए हैं। मामले में भाजपा युवा मोर्चा प्रशिक्षण सेल के राज्य समन्वयक सुरेंद्र सिंह शेखावत ने बताया कि हजारों लोगों के खिलाफ केस दर्ज किए गए क्योंकि उन्होंने पुलिस एनकाउंटर में मारे गए आनंदपाल सिंह की मौत के खिलाफ आंदोलन में हिस्सा लिया था। उन्होंने आगे कहा, ‘हमने मुख्यमंत्री से कहा कि वो सहानुभूतिपूर्वक मामलों को वापस लेने पर विचार करें। इसपर वह नियमों के मुताबिक केस वापस लेने पर राजी हो गईं।’
बता दें कि 24 मामलों में से तीन को सीबीआई के पास भेजा गया है। बाकी 21 में आठ को पुलिस ने बंद कर दिया है। इसपर शेखावत के मुताबिक सरकार ने कहा है कि शेष 13 मामले में चार्ज शीट दाखिल की जाएगी। इसके बाद जिला कलेक्टर ट्रायल कोर्ट से इन मामलों को वापस लेने के लिए आवेदन करेगा।