राजस्थान: छह साल बाद भी नर्सेज रजिस्ट्रेशन को तरसे

भारतीय चिकित्सा पद्धतियों को बढ़ावा देने का नारा राजस्थान में खोखला साबित हो रहा है। राज्य के करीब 25 हजार आयुष नर्सेज अपने पंजीयन को लेकर ही तरस रहे है। इस में आयुर्वेद, होम्यो, यूनानी आदि भारतीय चिकित्सा पद्धतियों से जुडे नर्सिंग कोर्स किए हुए बेरोजगार युवा हैं। आयुर्वेद नर्सिंग कांउसिल का एक्ट विधानसभा ने छह साल पहले ही 2012 में पास कर दिया था। सरकार छह साल में भी इस एक्ट के नियम, उपनियम और रेगूलेशन नहीं बना पाई है। इससे आयुष नर्सेज का पंजीकरण नहीं हो पा रहा है और इसके कारण इन्हें केंद्र व बाहर के राज्यों के साथ ही अपने गृह प्रदेश में सरकारी नौकरी नहीं मिल पा रही है।

सरकार की प्रशासनिक मशीनरी के ढीलेढाले रवैये के कारण हजारों आयुष नर्सेज अपने भविष्य को लेकर चिंतित हो उठे हैं। सरकार की ऐसी कार्यशैली से ही बेरोजगारों में नाराजगी पनपी हुई है। प्रदेश में इन दिनों तमाम सरकारी महकमों में बडी संख्या में भर्तियों की प्रक्रिया चल रही है पर आयुर्वेद विभाग में नर्सेज के खाली पड़े पदों पर किसी का ध्यान ही नहीं है। राज्य में आयुर्वेद, होम्योपैथ और यूनानी के साथ ही अब तो जिला स्तर पर प्राकृतिक चिकित्सा संस्थान भी सरकार खोल रही है। इनमें चिकित्सक तो है पर उनकी सहायता के लिए नर्सेज का टोटा मरीजों को खल रहा है।

चौंकाने वाली बात यह है कि वर्ष 2013 से आयुर्वेद नर्सिंग काउंसिल का दफ्तर भी खुला हुआ है और उसमें पंजीयक भी नियुक्त है। इस काउंसिल में अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति पांच साल बाद 2017 में की गई। इसके बाद एक साल निकल जाने पर भी आयुर्वेद नर्सेज के पंजीकरण की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई है। इसके पीछे कारण बताया जा रहा है कि पंजीकरण के नियम और अन्य मामले विधि विभाग में ही अटके हुए हैं।

आयुर्वेद व भारतीय चिकित्सा विभाग ने 17 अप्रैल-2017 को राजस्थान आयुर्वेद नर्सिग काउंसिल एक्ट-2012 के तहत अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति कर दी थी। इसके नियमों में देरी कुछ तकनीकी कारणों से हो रही है। सरकार भारतीय चिकित्सा पद्धतियों को पूरा महत्व देती है। इसके नर्सेज के पंजीकरण की जल्द व्यवस्था की जाएगी। काउंसिल की एक साल पहले जुलाई में बैठक भी हुई थी। इसके बाद काम में कुछ शिथिलता आई है, पर इसे जल्द ही पूरा किया जाएगा।

-कालीचरण सर्राफ, चिकित्सा मंत्री, राजस्थान

काउंसिल में पंजीकरण नहीं होने से उन्हें केंद्र और अन्य राज्यों में सरकारी नौकरी के लिए पात्र ही नहीं माना जा रहा है। बेरोजगारी के कारण प्रशिक्षिण आयुष नर्सेज को दर-दर की ठोंकरे खाने को मजबूर होना पड़ रहा है। आयुष नर्सेज अपनी वाजिब मांग को लेकर मंत्रियों से लेकर अफसरों तक गुहार लगा रहे है पर उनकी कहीं कोई सुनवाई ही नहीं हो रही है। काउंसिल को असरदार बनाने से आयुष नर्सेज को गुणवत्ता वाला शिक्षण और प्रशिक्षण हासिल हो सकेगा।

-रामअवतार शर्मा, बेरोजगार आयुष नर्सेज एसोसिएशन

यह सही है कि नियम और रैगयूलेशन में देरी होने के कारण आयुष नर्सेज के पंजीयन में खासी परेशानी हो रही है। जल्द ही आने वाली परेशानियों को दूर कर नर्सेज का पंजीकरण करना शुरू कर दिया जाएगा। इसके लिए विधि विभाग से लगातार संपर्क किया जा रहा है।

-धर्मेंद्र फोगाट, चेयरमेन, राजस्थान आयुर्वेद नर्सिंग काउंसिल

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