राजस्थान: मंत्रियों के लिए तबादले बने मुसीबत, मंत्री और संसदीय सचिव भिड़े

राजस्थान में सरकारी कर्मचारियों के तबादलों का खेल अब भाजपा सरकार के लिए मुसीबत बन गया है। तबादलों को लेकर सोमवार को एक बार फिर सरकार के दो मंत्रियों के बीच जमकर तू-तू मैं-मैं हो गई। चिकित्सा मंत्री कालीचरण सर्राफ और संसदीय सचिव भीमा भाई के बीच तबादलों को लेकर प्रदेश भाजपा मुख्यालय में ही तीखी झड़प हो गई। इससे पहले शिक्षा राज्य मंत्री वासुदेव देवनानी और चिकित्सा राज्यमंत्री बंशीधर बाजिया के बीच तो थप्पड़बाजी हो चुकी है। कांग्रेस का आरोप है कि तबादलों के खेल में मंत्री जमकर भ्रष्टाचार कर रहे हैं। राज्य भाजपा का प्रदेश मुख्यालय सोमवार को एक बार फिर दो बड़े नेताओं के बीच अखाड़ा बन गया। प्रदेश मुख्यालय में चिकित्सा मंत्री कालीचरण सर्राफ नियमित जनसुनवाई कर रहे थे। उसी दौरान सरकार में मंत्री के दर्जे वाले संसदीय सचिव भीमा भाई पहुंच गए। आदिवासी क्षेत्र बांसवाडा के विधायक भीमा भाई अपने किसी समर्थक के तबादले को लेकर चिकित्सा मंत्री सर्राफ से गुहार करने लगे। इस पर सर्राफ भड़क गए तो भीमा भाई भी उग्र हो गए। दोनों के बीच बहुत देर तक तो कहासुनी होती रही। इससे पूरे प्रदेश मुख्यालय का माहौल गरम हो गया और अफरातफरी मच गई।

भीमा भाई का कहना है कि उन्होंने एक तबादले की अर्जी की सिफारिश चिकित्सा मंत्री को दी थी। चिकित्सा मंत्री ने उस अर्जी को एक तरफ रख दिया। इससे ही संसदीय सचिव भीमा भाई नाराज हो गए। भीमा भाई ने मंत्री को उनकी अर्जी एक तरफ सरकाने पर उलाहना दिया तो सर्राफ भी गुस्सा हो गए। सर्राफ ने कहा कि वे उनकी सुनें या सुनवाई में आई जनता की। इस पर दोनों उलझ गए और कार्यालय में मौजूद अन्य नेताओं ने उन्हें अलग किया। भीमा भाई ने कहा कि उनके बताए तबादले मंत्री ने नहीं किए हैं। चिकित्सा मंत्री सर्राफ का कहना है कि उन्होंने विधायकों की सिफारिश पर उचित तबादले किए हैं।

प्रदेश में तबादलों को लेकर पूर्व में शिक्षा राज्य मंत्री वासुदेव देवनानी पर चिकित्सा राज्य मंत्री बंशीधर बाजिया ने हाथ उठा दिया था। इस प्रकरण की शिकायत तो प्रदेश संगठन महामंत्री चंद्रशेखर ने केंद्रीय नेतृत्व तक को भेज दिया था। इन दोनों मंत्रियों के बीच शिक्षकों के तबादलों को लेकर जमकर झगड़ा हुआ था। दोनों मंत्रियों ने अपनी सफाई मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और संगठन को भी दी थी। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट का कहना है कि प्रदेश में तबादलों के नाम पर खुली लूट मची हुई है। तबादलों में हुए भ्रष्टाचार से प्रदेश का कर्मचारी वर्ग भाजपा सरकार से खासा खफा है। शिक्षा, चिकित्सा, खनन, राजस्व, जलदाय, निर्माण विभाग तो भ्रष्टाचार के अड्डे बन गए हैं।

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