राजस्थान: सरकारी अस्पतालों में मरीजों के अनुपात में नर्सों की भारी कमी

राजस्थान के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी के साथ नर्स की भी भारी कमी से मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। प्रदेश में कुछ वर्षों में नर्स की नियमित भर्तियां नहीं होने से भी ज्यादातर अस्पतालों में नर्स की कमी है। बड़े अस्पतालों में नियमित नर्स के बजाय संविदा पर नर्सिंगकर्मी लगाए हुए हैं। इनके भरोसे ही मरीजों की देखभाल हो रही है। मरीजों के अनुपात में नर्स की भारी कमी के कारण चिकित्सा सेवा गड़बड़ाई हुई है। प्रदेश के सबसे बडे सवाई मानसिंह अस्पताल जयपुर में ही तय हिसाब से आधे से भी कम नर्सिंगकर्मियों के भरोसे मरीजों का इलाज हो रहा है।
नर्स की नियुक्तियों में राज्य सरकार की लापरवाही साफ तौर पर उजागर हो रही है। हजारों की संख्या में युवा नर्स कोर्स कर भर्तियों का इंतजार कर रहे हैं।

प्रदेश में नर्स को कई श्रेणियों में बांट कर सरकार इनकी भर्तियां करती है पर पिछले चार साल से नियमित भर्तियां नहीं होने से अस्पतालों के हाल भी खराब हो गए हैं। प्रदेश में एएनएम, एलएचवी, नर्स ग्रेड प्रथम और नर्स ग्रेड द्वितीय श्रेणी के पदों पर नर्स की तैनाती उनके कोर्स के हिसाब से सरकारी अस्पतालों में होती है। एएनएम की नियुक्तियां ज्यादातर प्राथमिक स्वास्थ केंद्रों पर होती है जो कि ग्रामीण इलाकों में स्थित होते हैं। इनकी भी नियमित नियुक्ति के बजाय सरकार इन्हें संविदा अर्थात अनुबंध के आधार पर ही तैनात करने पर ज्यादा जोर देती है। चिकित्सा जैसे पवित्र काम के लिए अनुबंध पर नर्स लगाने से उनके काम में गुणवत्ता के साथ ही मरीज की देखभाल जैसे मानवीय पहलू गायब ही रहते हैं।

क्या हैं मानक

नर्सिंग कर्मियों की कमी पर कई बार डॉक्टरों ने सरकार के आला अफसरों का ध्यान भी दिलाया। इसके बावजूद सरकार इस दिशा में गंभीर नहीं है। डॉक्टर एनके शर्मा के अनुसार इंडियन नर्सिंग कौंसिल के मानकों के अनुसार किसी भी अस्पताल में भर्ती तीन मरीज पर एक नर्सिंगकर्मी होना चाहिए। इसके अलावा आउटडोर में 20 मरीजों पर एक नर्सिंगकर्मी, आइसीयू में एक मरीज पर एक नर्स, आॅपरेशन थियेटर में भी एक मरीज पर एक नर्सिंगकर्मी होना बेहद जरूरी है। इसके अलावा हर अस्पताल में 25 फीसद नर्सिंगकर्मी रिजर्व में रखे जाने चाहिए। कौंसिल के मानकों की राजस्थान के सरकारी अस्पतालों में पूरी तरह से धज्जियां उड़ रही हैं। राजस्थान नर्सेज एसोसिएशन के प्रदेश संयोजक शशिकांत शर्मा का कहना है कि मरीजों के अनुपात में प्रदेश के अस्पतालों में नर्स की काफी कमी है। अस्पतालों में नर्स की नियुक्ति आइएनसी के मानकों के अनुसार नहीं है। नर्स की कमी के कारण कई बार मरीजों के तीमारदारों और नर्सिंगकर्मियों के बीच टकराव भी हो जाता है। सरकार को फौरन ही नियमित नर्स की भर्ती प्रक्रिया को शुरू कर अस्पतालों की हालत में सुधार करने के कदम उठाने चाहिए।

प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल जयपुर के सवाई मानसिंह में तो हालत बदतर ही है। इस अस्पताल में मरीजों की बढ़ती संख्या के हिसाब से करीब चार हजार नर्सिंगकर्मी होने चाहिए जबकि अभी सिर्फ 1500 ही नर्सिंगकर्मी कार्यरत हैं। यह अस्पताल मरीजों की संख्या के हिसाब से हर साल एम्स दिल्ली का भी रेकार्ड तोड़ रहा है। इस अस्पताल के विशेषज्ञ डॉक्टरों ने भी कई बार नर्स की कमी की तरफ सरकार का ध्यान खींचा पर हुआ कुछ नहीं। सरकारी आंकड़ों के हिसाब से प्रदेश में मौजूदा में 64 हजार नर्स कार्यरत हैं, इनमें से 15000 तो अनुबंध पर ही हैं। प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में करीब 20 हजार नए नर्सिंगकर्मियों की तुरंत जरूरत है और बेरोजगार नर्सिंग छात्र भर्ती की मांग को लेकर आंदोलनरत भी हैं।

चिकित्सा मंत्री कालीचरण सर्राफ का कहना है कि स्वास्थ विभाग भर्ती प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी में है। इसके लिए सरकार ने बजट प्रावधान भी कर दिया है। प्रदेश में जल्द ही नर्सिंगकर्मियों की भर्ती शुरू हो जाएगी। नई भतिर्यों के बाद अस्पतालों में नर्स की कमी दूर हो सकेगी। स्वास्थ सेवाओं में नर्स का विशेष महत्व है। इनकी कमी से होने वाली परेशानियों को लेकर सरकार भी चिंतित है।

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