राजस्थान चुनाव जीतने के लिए कांग्रेस ने बनाया बूथ मैनेजमेंट का बड़ा प्लान, सफल रहा तो 2019 में भी आजमाएगी कांग्रेस
भाजपा की तर्ज पर कांग्रेस ने भी बूथ मैनेजमेंट में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल शुरू कर दिया है। इसकी शुरुआत विधानसभा चुनावों से की जाएगी। इसके लिए मुख्य विपक्षी पार्टी ने पहले कार्यकर्ताओं की पहचान सुनिश्चित करने का अभियान शुरू किया है। इसके साथ ही स्विंग बूथ और समर्पित वोटरों की भी पहचान की जाएगी। सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध आंकड़ों के जरिये कोर वोट बेस का पता लगाया जाएगा और इन आंकड़ों की मदद से विभिन्न राजनीतिक मसलों पर मतदाताओं के मूड का पता लगाने के लिए सर्वे भी कराया जाएगा। ‘इकोनोमिक टाइम्स’ की रिपोर्ट के अनुसार, कांग्रेस इस डाटाबेस के सहारे वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान जनता से सीधा संवाद भी कर सकेगी। बताया जाता है कि इस प्रक्रिया के जरिये पार्टी जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं और मतदाताओं से सीधे जुड़ेगी। रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली और राजस्थान में इसकी शुरुआत कर दी गई है। राजस्थान में साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। इसके बाद इस अभियान को मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों तक भी ले जाया जाएगा। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के नेतृत्व में पार्टी पहले से ही माइक्रो लेवल तक बूथ मैनेजमेंट का काम कर रही है, जिसका नतीजा भी दिखा है।
अमेरिकी पार्टियों की तर्ज पर ‘माइक्रो वोटर टारगेटिंग’: कांग्रेस अमेरिकी पार्टियों की तर्ज पर सीधे मतदाताओं से संपर्क साधने की तैयारी में है। आगामी लोकसभा चुनावों को बेहतर तरीके से मैनेज करने के लिए कांग्रेस ने सभी तरह के आंकड़ों को डिजिटल करने की प्रक्रिया शुरू की है। पहले चरण में बूथ लेवल के कार्यकर्ताओं की पहचान कर उनसे एक साझा डिजिटल प्लेटफॉर्म ‘शक्ति’ के जरिये सीधे संपर्क साधा जाएगा। दूसरे चरण में पिछले पांच चुनावों के बूथ लेवल के आंकड़ों को डिजिटल किया जाएगा। इसके जरिये यह पता लगाया जाएगा कि कांग्रेस कहां मजबूत है और कौन से स्विंग बूथ हैं जिनपर अतिरिक्त ध्यान देने की जरूरत है। पार्टी मतदाता पत्र से आंकड़े जुटाएगी, जिसका सरकारी कार्यक्रमों से लाभान्वित होने वाले लोगों की सूची से मिलान किया जाएगा। इस अभियान को अंजाम तक पहुंचाने की जिम्मेदारी नवगठित डाटा एनालिटिक्स डिपार्टमेंट को सौंपी गई है। इसमें स्वतंत्र विशेषज्ञों की भी मदद ली जाएगी। प्रोजेक्ट में लगे कांग्रेस के एक पदाधिकारी ने बताया कि पार्टी को जहां का ब्योरा नहीं मिलेगा वहां पार्टी कार्यकर्ताओं को लगाया जाएगा। उन्हें मतदाताओं के घरों में जाकर उनका प्रोफाइल तैयार करने को कहा जाएगा।
गुजरात में किया गया था इस्तेमाल: कार्यकर्ताओं और मतदाताओं के ब्योरे को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाने के बाद सीधे वोटरों की राय जानने का प्रयास किया जाएगा। इसके तहत किसी खास जिले के मतदाताओं का मूड भांपने के लिए ओपिनियन पोल कराया जाएगा। उनसे विभिन्न मसलों पर सीधे सवाल पूछे जाएंगे। कांग्रेस के एक अन्य पदाधिकारी ने बताया कि गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान शहरी क्षेत्रों में इस तकनीक को आजमाया गया था। उनके अनुसार, इसी के जरिये पता चला था कि मुस्लिम महिलाएंं तीन तलाक पर मोदी सरकार के रुख से प्रभावित हैं। मुस्लिम महिलाओं की राय को सुधारने के लिए महिला कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को लगाया गया था।