राज्यसभा चुनाव 2018: जेल में बंद विधायक बिगाड़ सकते हैं भाजपा का गणित
राज्यसभा चुनाव को लेकर सियासी पारा चढ़ गया है। हर पार्टी अपने प्रत्याशियों को जिताने की जुगत लगी है। सबकी निगाहें उत्तर प्रदेश पर टिकी हैं, जहां भाजपा और विपक्षी दल सपा, बसपा एवं कांग्रेस जोड़-तोड़ में जुटी हैं। भाजपा के आठ उम्मीदवारों का जीतना तो तय है, लेकिन मामला नौवें प्रत्याशी को उच्च सदन भेजने पर अटक गया है। नौवीं सीट के लिए भाजपा का मुकाबला बसपा के भीमराव अंबेडकर से है। आठ प्रत्याशियों को जिताने के बाद भाजपा के पास 28 विधायकों का वोट शेष बचता है, जबकि जीत के लिए 37 विधायक चाहिए। भाजपा के पास नौ विधायक कम पड़ रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आवास पर 21 मार्च को रात्रिभोज का आयोजन किया गया था, जिसमें भाजपा और सहयोगी दल के विधायकों के साथ सपा के पूर्व नेता नरेश अग्रवाल के बेटे नितिन भी शामिल हुए थे। निर्दलीय बाहुबली विधायक अमनमणि त्रिपाठी ने योगी आदित्यनाथ का आशीर्वाद लिया था। एक अन्य निर्दलीय विधायक विजय मिश्र का नाम भी इसमें जोड़ दें तो भाजपा के पास कुल 31 विधायक हो जाते हैं, ऐसे में बाकी के छह विधायकों को जुटाने का भी प्रयास किया जा रहा है। बांदा जेल में बंद बसपा के बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी वोट नहीं डाल पाएंगे। अब फिरोजाबाद जेल में सजा काट रहे सपा के हरिओम यादव पर नजरें टिकी हैं। ऐसा होने पर बीजेपी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। यदि 23 मार्च को ये दोनों वोट नहीं डाल पाए तो भाजपा को इसका सीधा फायदा होगा।
सपा उम्मीदवार जया बच्चन का राज्यसभा पहुंचना तय है। बता दें कि उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की कुल 10 सीटों के लिए चुनाव होना है। नौ प्रत्याशियों (आठ भाजपा और एक सपा) का उच्च सदन पहुंचना तय है। सिर्फ एक सीट पर पेंच फंसा है। बीजेपी एक अन्य निर्दलीय विधायक राजा भैया पर भी नजरें जमाए है, लेकिन अखिलेश द्वारा दिए गए भोज में न केवल उन्होंने शिरकत की बल्कि अखिलेश और जया बच्चन के साथ बैठकर बातें भी की। वहीं, अखिलेश के चाचा शिवपाल भी इस भोज में पहुंच कर संदेह को और बढ़ा दिया। बताया जाता है कि भाजपा की निगाहें शिवपाल पर भी टिकी हैं। राजा भैया ने कहा था कि सपा और बसपा के दोनों प्रत्याशी जीतेंगे। बता दें कि मायावती के मुख्यमंत्री रहते राजा भैया को वर्ष 2003 में गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया था और उनके महल पर छापा भी मारा गया था। बता दें कि जया बच्चन को राज्यसभा भेजने के बाद सपा के पास नौ विधायक बचते हैं। वहीं, बसपा के 19 और कांग्रेस के पास 7 विधायक हैं। इस तरह भीमराव अंबेडकर के पास कुल 35 विधायक बचते हैं, जबकि जीत के लिए 37 की जरूरत है। ऐसे में बसपा प्रत्याशी को उच्च सदन भेजने के लिए दो विधायक कम हैं।