राज्‍यसभा चुनाव: उड़ीं अरविंद केजरीवाल के सिद्धांतों की धज्‍जियां, 18 लोगों ने ठुकराया, तब इन तीन को आप ने दिया टिकट

आम आदमी पार्टी (आप) ने दिल्ली की तीन राज्य सभा सीटों पर उम्मीदवार का एलान कर दिया है। पार्टी ने पीएसी प्रमुख संजय सिंह, दिल्ली के व्यवसायी सुशील गुप्ता और चार्टर्ड अकाउंटेंट नारायण दास गुप्ता को उम्मीदवार बनाया है। इनका चुना जाना तय है। इनमें से एक पार्टी के अंदर से तो बाकी दो बाहरी लोगों को उम्मीदवार बनाया गया है। हालांकि, पार्टी की ओर से दावा किया गया है कि जिन दो लोगों को बाहरी कहा जा रहा है वे भी पार्टी के अंदर के लोग हैं। बहरहाल, आप में एक नया संकट शुरू हो गया है। आप के संस्थापक सदस्य और कवि कुमार विश्वास ने पार्टी आलाकमान के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। विश्वास ने तंज कसते हुए कहा है कि जिन लोगों ने लंबे समय से पार्टी में क्रांतिकारी काम किए हैं उन्हें टिकट मिलने पर बधाई।

इधर, आप के इस फैसले पर पार्टी के अंदर और बाहर के लोग सवाल उठाने लगे हैं। लोगों का आरोप है कि सीएम अरविंद केजरीवाल ने खुद अपने ही सिद्धांतों की धज्जियां उड़ाई हैं। पार्टी स्थापना से पूर्व अन्ना आंदोलन से लेकर दिल्ली की सत्ता में वापसी तक केजरीवाल को अपने ही सिद्धांतों से समझौता करते हुए देखा गया। पहली बात, अरविंद केजरीवाल और अन्य संस्थापक सदस्यों ने इस बात पर बल दिया था कि जो भी लोग पार्टी की स्थापना और दिल्ली में सरकार बनाने में अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं, पार्टी उन्हें हर कदम पर तरजीह देगी लेकिन जब बात आई ऐसे लोगों को स्थान या पद देने की तो केजरीवाल ने उन्हें अंगूठा दिखा दिया।

दिल्ली की तीन सीटों पर होने वाले राज्य सभा चुनाव में भी कुछ ऐसा ही होता दिख रहा है। संस्थापक सदस्यों में प्रशांत भूषण, योगेन्द्र यादव और जेएनयू के प्रोफेसर रहे कुमार आनंद तो पहले ही पार्टी से अलग हो चुके हैं, अब पार्टी ने कुमार विश्वास और आशुतोष की राज्यसभा उम्मीदवारी खारिज कर साबित कर दिया है कि आप के भी चरित्र और चाल-चलन में अन्य राजनीतिक दलों के गुण-दोष शामिल हो चुके हैं। सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे भी आप और खासकर पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल के बदलते सिद्धांतों और मानकों की आलोचना कर चुके हैं। हजारे ने पहले ही कहा था कि आंदोलन के दिनों में केजरीवाल हमेशा कहा करते थे कि एक नेता को विचारों और कर्म की शुद्धता को बनाए रखना चाहिए, बेदाग जीवन जीना चाहिए और देश व समाज की भलाई के लिए त्याग करना चाहिए लेकिन केजरीवाल सत्ता के लिए सब कुछ भूल चुके हैं। राजनीतिक दलों को चंदा के मुद्दे पर भी केजरीवाल कांग्रेस और बीजेपी के खिलाफ हल्ला बोल चुके हैं मगर खुद उनकी पार्टी आज आयकर विभाग और चुनाव आयोग की नोटिसों का सामना कर रही है।

शायद यही वजह रही कि पार्टी ने कई ऐसे बाहरी लोगों को राज्य सभा में भेजने के लिए संपर्क किया जो समाज के अलग-अलग तबके से विभिन्न क्षेत्रों के प्रोफेशनल्स रहे हैं मगर सभी ने आप के प्रस्ताव को खारिज कर दिया। बता दें कि मनीष सिसोदिया ने भी कहा कि पार्टी ने ऐसे 18 लोगों से संपर्क किया था लेकिन कोई भी राज्य सभा में जाने को राजी नहीं हुए। दरअसल, रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन, पूर्व चीफ जस्टिस टी के ठाकुर, पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा, अरूण शौरी, इंफोसिस के अध्यक्ष एन नारायणमूर्ति, नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी और उद्योगपति सुनील मुंजाल जैसी हस्तियों ने आप के इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया था। इसके बाद पार्टी ने अब तीन नाम तय किए हैं।

 

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