राज्‍यसभा टीवी में घोटाला? वेंकैया नायडू ने जांच के लिए कमेटी बनाई

राज्यसभा टीवी में वित्तीय अनियमितताओं की रिपोर्ट के बीच उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने इस मामले की जांच के आदेश दे दिये हैं। राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति ने राज्यसभा टीवी की लॉन्चिंग से लेकर अबतक की खर्चों की जांच के लिए एक सदस्यीय जांच कमेटी बनाई है। दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक राज्यसभा के सचिव डॉ पीपीकेक रामाचार्यालू को इन अनियमितताओं के जांच का जिम्मा सौंपा गया है। उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने तीन महीने के अंदर उनसे इस जांच की रिपोर्ट मांगी है। अगस्त 2011 में लॉन्च हुए राज्यसभा टीवी पर 7 साल में 375 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। इस लिहाज से इस चैनल पर हर साल 62.5 रुपये खर्च हुए। रिपोर्ट के मुताबिक इनमें से 25 करोड़ रुपये सालाना तालकटोरा स्टेडियम में ऑफिस का किराया ही शामिल है। बता दें कि जब वेंकैया नायडू पिछले साल उपराष्ट्रपति बने थे, तो उन्होंने तुरंत चैनल के ऑडिट का आदेश दिया था।

बता दें कि जब राज्यसभा टीवी की लॉन्चिंग की गई थी तो उस वक्त हामिद अंसारी राज्यसभा के चेयरमैन थे, और गुरदीप सिंह सप्पल राज्यसभा टीवी के सीईओ थे। उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने इसी अवधि की वित्तीय लेन-देन की जांच के आदेश दिये हैं। बता दें कि जैसे ही वेंकैया नायडू सभापति बने थे गुरदीप सिंह सप्पल ने इस्तीफा दे दिया था। रामाचार्यालू समिति राज्यसभा टीवी द्वारा प्रोड्यूस की गई फिल्म ‘राग देश’ की भी जांच करेगी। इस फिल्म को राज्यसभा टीवी के तत्कालीन सीईओ गुरदीप सिंह सप्पल ने ही प्रोड्यूस किया था। इस पर 12.5 करोड़ रुपये खर्च किये गये थे।

राज्यसभा टीवी से इस्तीफे के बाद सप्पल ने सूचना के अधिकार के तहत पूछे गये एक सवाल के जवाब में कहा था कि उनके कार्यकाल में करप्शन का कोई मामला था ही नहीं, उन्होंने कहा कि जब वे सीईओ थे तो चैनल पर हर साल 70 करोड़ रुपये खर्च हो रहे थे, जो अब बढ़कर 100 करोड़ रुपये हो चुका है। बता दें कि संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा के लिए दो अलग टीवी चैनल चलते हैं।  राज्यसभा टीवी और लोकसभा टीवी नाम से चलने वाले इन चैनलों पर संसदीय कार्यवाही के अलावा सम-सामयिक मुद्दों पर चर्चा और डिबेट आयोजित किये जाते हैं।

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