रातभर करवटें बदलता रहा कैदी नंबर 1997

अपने भक्तों के लिए कभी साक्षात भगवान तो कभी भगवान के दूत बने डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम इंसां को शुक्रवार सुबह तक खुद भी नहीं पता था कि अगले दिन का सूरज उन्हें कहां दिखाई देगा। हर रोज जिस व्यक्ति की सुबह हजारों लोगों के बीच में होती थी, जेल में जब पहली सुबह आंख खुली तो चारों तरफ चारदीवारी थी। डेरा सच्चा सौदा के स्वयंभू संत गुरमीत राम रहीम को शुक्रवार रात जेल में नई पहचान मिली और उन्हें कैदी नंबर 1997 का नाम दिया गया है। शुक्रवार की शाम सेना के विशेष हेलिकॉप्टर से राम रहीम को रोहतक की सुनारियां जेल में पहुंचाया गया। रात करीब आठ बजे कागजी कार्रवाई पूरी करने के बाद राम रहीम को कैदी नंबर 1997 आबंटित किया गया। इसके बाद जैल मैनुअल के हिसाब से उन्हें दाल, आलू की सब्जी, दो रोटी दी गई, लेकिन उन्होंने केवल एक रोटी खाई।

इसके बाद राम रहीम एकदम चुप होकर अपनी बैरक में बैठ गए। जेल नियमानुसार रात दस बजे जेल की बत्ती बंद कर दी जाती है। राम रहीम को रात भर नींद नहीं आई। सूत्रों के अनुसार रात करीब 11 बजे राम रहीम फिर उठकर बैठ गए। इसके बाद उनके साथी कैदी ने उन्हें पीने के लिए दूध दिया। इसके बाद वे लेट तो गए पर घंटों करवटें बदलते रहे। सुबह करीब साढ़े पांच बजे फिर से उठ गए। लेकिन अब उनके आसपास न तो अनुयायियों की लंबी कतार थी और न ही सेवादारों की भीड़ थी। करीब बीस मिनट तक अकेले बैठे रहे उसके बाद उनका साथी कैदी वहां आया और उसने मांग के अनुसार ग्रीन टी दी।

इस बीच जेल महानिदेशक केपी सिंह ने राम रहीम को विशेष सुविधा दिए जाने की खबरों का भी खंंडन किया है। उन्होंने कहा कि राम रहीम को साधारण कैदी की तरह रखा गया है। जेल के नियमों के मुताबिक उन्हें सिर्फ कपड़े ले जाने की इजाजत दी गई है।सीबीआइ अदालत ने राम रहीम को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की तीन धाराओं 376 (बलात्कार), 506 (डराने-धमकाने) एवं 509 (महिला की इज्जत से खिलवाड़)- के तहत दोषी ठहराया है। राम रहीम को कम से कम सात साल सश्रम कारावास की सजा होनी तय है। निर्भया कांड के बाद पारित आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम 2013 के तहत बलात्कार के अपराधियों को कम से कम सात साल के सश्रम कारावास और अधिक से अधिक आजीवन कारावास व जुर्माने का प्रावधान है।

आइपीसी की धारा 506 के तहत अधिकतम दो साल की सजा या जुर्माना या दोनों का प्रावधान है। वर्ष 2013 में किए गए संशोधन के अनुसार धारा 509 के तहत अधिकतम तीन साल की साधारण सजा और जुर्माने का प्रावधान किया गया है। इससे पहले इस धारा के तहत एक साल के साधारण कारावास या जुर्माना या दोनों की व्यवस्था थी। नए संशोधन में कुछ ऐसे प्रावधान भी किए गए हैं, जिसके तहत बलात्कार के अपराधी को कम से कम 10 साल सश्रम कारावास व अधिक से अधिक आजीवन कारावास की व्यवस्था की गई है। इनमें पुलिस अधिकारी द्वारा बलात्कार, अभिरक्षा में बलात्कार, बार-बार बलात्कार, किसी न्यास और संस्था के प्रमुख द्वारा वहां रहने वाली महिलाओं के साथ बलात्कार आदि शामिल हैं।

कपड़ों से भरी तीन अटैची लेकर अदालत आए थे बाबा

बलात्कार के दोषी राम रहीम को पहले ही इस बात का अंदेशा हो गया था कि उनके तथा जेल की सलाखों की बीच की दूरी ज्यादा नहीं है। डेरा प्रमुख शुक्रवार को जब अदालत में पेशी के लिए आए तो वे पूरी तैयारी के साथ यहां पहुंचे थे। कोर्ट रूम में आते ही जज ने उन्हें दोषी करार दे दिया। इसके बाद राम रहीम ने अपनी गोद ली विवादित बेटी हनीप्रीत को भीतर बुलाने को कहा। कोर्ट ने इसकी इजाजत दे दी। हनीप्रीत जब अदालत के भीतर गई तो वे अपने साथ तीन अटैची लेकर पहुंचीं। अदालत ने जब फैसला सुनाया तो राम रहीम अपनी तीनों अटैची लेकर रवानाहो गए।

 इस पूरे प्रकरण में हनीप्रीत इंसा अंतिम समय तक उनके साथ रही। हालांकि अभी तक यह साफ नहीं हो सका है कि हनीप्रीत किसके आदेश से सेना के हेलिकॉप्टर में साथ बैठकर बाबा के साथ गई थीं। अदालत द्वारा सजा सुनाए जाने के बाद हनीप्रीत बाबा के साथ रोहतक की सुनारियां जेल भी गईं। सूत्रों की मानें तो हनीप्रीत ने जेल के भीतर जाने का भी प्रयास किया। लेकिन जेल अधिकारियों व पुलिस ने उनसे वारंट दिखाने को कहा। इस दिखाने में विफल रहने पर पुलिस ने उन्हें जेल परिसर से बाहर कर दिया।

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