राफेल पर विपक्ष के हमले का कैसे दें मुंहतोड़ जवाब, एनएसए अजीत डोभाल ने मोदी के मंत्रियों को दी क्लास

राफेल मुद्दे पर विपक्ष लगातार मोदी सरकार पर हमला कर रही है। विपक्ष के हमलों का जवाब देने के लिए एनएसए प्रमुख अजीत डोभाल ने बुधवार को मोदी मंत्रिमंडल के सदस्यों को राफेल डील से संबंधित पूरी जानकारी दी ताकि वे इससे संबंधित किसी भी सवाल का जवाब देकर विरोधियों को चुप करा सकें। सरकार के खिलाफ पक्षपात करने और भ्रष्टाचार का आरोप लगने पर नेता इन तथ्यों को उनके सामने रख सकें। एक बैठक में डोभाल ने फ्रांस के साथ लड़ाकू विमान सौदे पर बताया कि इसकी लागत उपकरण और हथियारों पर आधारित है जो जेट में एक हो जाएंगी। एक वरिष्ठ सरकारी कार्यकर्ता ने कहा कि “राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और रक्षा उत्पादों के सचिव अजय कुमार ने बैठक में सौदे के विभिन्न पहलुओं के बारे में विस्तृत चर्चा की। यह कार्यक्रम करीब ढ़ाई घंटे तक चला।

मंत्रियों को यह बताया गया कि “यह दो सरकारों के बीच एक डील थी, इसमें कोई निजी पार्टी शामिल नहीं थी, जिससे भ्रष्टाचार की थोड़ी भी गुंजाइश बचे।” बैठक में एयरक्राफ्ट की क्षमता पर चर्चा की गई। बताया गया कि, “इसके आने से भारतीय एयरफोर्स और अधिक मजबूत होगी। यह एयरफोर्स के लिए एक प्रमुख संपत्ति बनेगी।” बता दें कि कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी पार्टियों राफेल डील को लेकर मोदी सरकार पर लगातार हमला कर रही है। आरोप लगा रही है कि इसे अधिक कीमत पर खरीदा गया है। सरकार द्वारा एक भारतीय व्यवसायी को फायदा पहुंचाया गया। हालांकि, इन आरोपों को सरकार ने सीधे तौर पर खारिज कर दिया है।

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बैठक में क्या हुआ, इसके बारे में जानकारी देने से इनकार करते हुए, राफेल डील को लेकर कांग्रेस और राहुल गांधी पर निशाना साधा। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि, “एक वंशवादी पार्टी में पूरी तरह ज्ञान का अभाव होता है। यदि किसी एक को भी जानकारी का अभाव है तो सभी अज्ञानी होते हैं।” जेटली ने कहा कि डील पर सवाल उठाना पूरी तरह अज्ञानता है। 2007 और 2016 के दौरान मूल्यों में और मुद्रा में जो वृद्धि हुई है, उसे भी देखा जाना चाहिए। नई डील के बाद एक लड़ाकू जेट अभी 20 फीसद सस्ता मिला है। चूकि, यह दो सरकारों के बीच की डील है, इसलिए कोई प्राइवेट पार्टी और पीएसयू शामिल नहीं है। सभी 36 जेट उड़ान भरने वाली स्थिति में आएंगे। यूपीए (शासन) के दौरान, वे प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण में विश्वास नहीं करते थे लेकिन विदेशी खरीदारों से (हार्डवेयर) खरीदना पसंद करते थे।”

जेटली ने कहा कि, “रक्षा क्षेत्र में एफडीआई 49 फीसदी की होने के बाद कई अंतरराष्ट्रीय रक्षा प्रमुख कंपनियां भारतीय हार्डवेयर कंपनियों के साथ रक्षा हार्डवेयर बनाने के लिए तैयार हैं। सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि रक्षा पीएसयू को पर्याप्त ऑर्डर मिले। सरकार निजी क्षेत्र की मदद करने में भी विश्वास रखती है।” इस बीच, एक अधिकारी ने कहा कि बैठक में प्रधानमंत्री द्वारा गठबंधन को साथ लेकर चलने के प्रयास भी बात हुई।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *