राफेल से जुड़ा घोटाला बोफोर्स से भी बड़ा घोटाला: यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी
पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी ने बुधवार को कहा कि राफेल सौदा ‘‘याद रखा जाने वाला आपराधिक कदाचार’’ का मामला है और यह बोफोर्स घोटाले से भी काफी बड़ा घोटाला है। उन्होंने मांग की कि सौदे की जांच एक निर्धारित समय में कैग द्वारा कराई जानी चाहिए। रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने आरोपों को ‘‘निराधार’’ कहकर खारिज किया।
उन्होंने ट्वीट किया कि सरकार संसद में पहले ही आरोपों पर जवाब दे चुकी है। निराधार आरोपों के जरिए सरकार की छवि खराब करने का हालिया प्रयास संसद में धराशायी हो गया था। सिन्हा और शौरी ने अधिवक्ता-कार्यकर्ता प्रशांत भूषण के साथ एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने से जुड़े 58,000 करोड़ रुपये के सौदे के संबंध में कई सवाल उठाए।
राजग सरकार के कटु आलोचक के रूप में जाने जाने वाले इन तीनों लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अकेले ही सौदे से जुडे मानकों को बदलने का आरोप लगाया और कहा कि सौदे को अंतिम रूप में देने में आवश्यक प्रक्रियाओं का गंभीर उल्लंघन किया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि समूचा सौदा ‘‘आपराधिक कदाचार, सार्वजनिक पद के दुरुपयोग और राष्ट्रीय हित तथा राष्ट्रीय सुरक्षा की कीमत पर पक्षों को संपन्न बनाने का अनूठा मामला है।’’ तीनों लोगों ने कहा कि सरकार ने तथ्यों को ‘‘छिपाने’’ का प्रयास किया।
कांग्रेस राफेल सौदे में भारी अनियमितताओं के आरोप लगाती रही है। उसका कहना है कि सरकार एक राफेल विमान के लिए 1,670 करोड़ रुपये का भुगतान कर रही है, जबकि संप्रग सरकार ने 126 राफेल विमानों की खरीद के लिए एक राफेल की कीमत का सौदा 526 करोड़ रुपये में किया था। सिन्हा, शौरी और भूषण ने सरकार के इस तर्क को भी खारिज किया कि विमानों की कीमत उनमें विशिष्टताओं तथा विशिष्ट हथियार प्रणालियों की वजह से बढ़ गई। राफेल सौदे को देश का अब तक का ‘‘सबसे बड़ा रक्षा घोटाला’’ करार देते हुए भूषण ने आरोप लगाया कि इससे सरकारी खजाने को कम से कम 35 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।