राम रहीम से टकराना नहीं था आसान, इन चार ‘हीरो’ के हौसलों से बाबा पहुंचा जेल

ऐसा बाबा जिसकी रसूख और दबदबे के आगे सरकारें कांपती हों, एक ऐसा बाबा जिसके चरणों पर बड़े-बड़े सियासतदां सजदा करते हों, एक ऐसा बाबा बलात्कारी करार दिए जाने के बाद भी राज्य का एडिशनल एडवोकेट जनरल जिसका बैग उठा कर खुद को धन्य समझता हो, वैसे बाबा से टकराना कोई मामूली बात नहीं.

ऐसे बाबा से टकरा कर उसे सलाखों के पीछे पहुंचाने के लिए यकीनन जिगर चाहिए, आपको ऐसे 4 हीरो़ के बारे में बताते हैं, जिन्होंने बाबा को डेरा से उठा कर रोहतक जेल तक पहंचा दिया.

ये 4 ऐसे लोग थे सच और हक के साथ आखिरी वक्त तक खड़े रहे, और इन्हीं 4 किरदारों की बदौलत आज बाबा गुरमीत राम रहीम सलाखों के पीछे है, और इन्हें आज दुनिया सलाम कर रही है.

साध्वी बहनें (हीरो नंबर 1)

सुरक्षा कारणों और बलात्कार पीड़िता होने की वजह से हम आपको इनका नाम नहीं बता सकते हैं. बाबा की करतूतों का पहला खुलासा तो ख़ैर उस गुमनाम चिट्ठी से हुआ, जिसने सबको झकझोर दिया था, लेकिन उस चिट्ठी में लिखी दर्द भरी कहानी की गवाही देने के लिए बस यही दो साध्वियां रहीं, जो अंत तक चट्टान की तरह डटी रहीं. इस चिट्ठी की बिनाह पर जब सीबीआई ने मामले की तफ्तीश शुरू की, तो 18 लड़कियों ने अपने साथ ज्यादती की बात कुबूल की, लेकिन सीबीआई को सिर्फ़ ऐसी दो ही लड़कियां मिलीं, जिन्होंने ना सिर्फ़ अपने साथ हुई ज़्यादती खुलकर बयान की, बल्कि ये सबकुछ अदालत में बताने का फ़ैसला किया और आज इन्हीं दो लड़कियों की बदौलत बाबा को सज़ा हुई.

पत्रकार रामचंद्र छत्रपति (हीरो नंबर 2)

हिसार के पत्रकार रामचंद्र छत्रपति अपने धुन के पक्के इंसान थे, इन्हें जिस खबर में ज़रा भी सच्चाई नज़र आती, ये अपने अंजाम की परवाह किए बग़ैर फ़ौरन उसे अपने अखबार पूरा सच में छाप दिया करते थे. ये छत्रपति का जिगर ही था कि उन्होंने पहली बार गुमनाम चिट्ठियों के हवाले से बाबा की पोल खोली, लेकिन उन्हें इसकी क़ीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ी. सीबीआई के मुताबिक बाबा के शूटर साधकों ने छत्रपति की 24 अक्टूबर 2002 को हत्या कर दी.

रणजीत सिंह (हीरो नंबर 3)

रणजीत सिंह बाबा के खिलाफ़ चट्टान की तरह डटी रहने वाली दो बहनों में से एक का भाई था, जिसने अपनी बहन के साथ हुई ज़्यादती से दुखी होकर बाबा का डेरा छोड़ दिया. सीबीआई की मानें तो बाबा ने राज़ फ़ाश होने के डर से रणजीत सिंह का भी क़त्ल करवा दिया. फिलहाल, छत्रपति मर्डर केस की तरह इस मामले की सुनवाई भी सीबीआई अदालत में जारी है.

फकीरचंद (हीरो नंबर 4)

फकीरचंद बाबा के डेरे का ही एक साधु हुआ करता था, लेकिन वो उन लोगों में था, जिन्होंने अपनी ज़मीर के साथ समझौता नहीं किया. बाबा की करतूत जानते ही डेरा छोड़ कर लोगों को जगाने में लग गया, और इसकी क़ीमत उसे अपनी गुमशुदगी से चुकानी पड़ी. फकीरचंद कहां है, कोई नहीं जानता. सीबीआई बाबा के खिलाफ़ हाई कोर्ट में इस मामले की भी पैरवी कर रही है.

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