राष्ट्रपति आज अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में, मीडिया के कैमरे, मोबाइल बैन, पॉलिस्टर तंबू भी नहीं
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में बुधवार( सात मार्च) को होने वाले 64 वें दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद बतौर मुख्य अतिथि भाग लेंगे। उनके साथ राज्यपाल राम नाईकऔर मंत्री चौधरी लक्ष्मीनारायण भी शिरकत करेंगे। वह 5381 विद्यार्थियों को उपाधि देंगे। छात्र नेताओं के विरोध को देखते हुए विश्वविद्यालय परिसर को पूरी तरह छावनी में तब्दील कर दिया गया है। नुमाइश मैदान में बने हेलीपैड से लेकर विश्वविद्यालय परिसर के एथलेटिक्स ग्राउंड के बीच भारी पुलिस फोर्स की तैनाती है। खास बात है कि राष्ट्रपति का जिस रूट से काफिला गुजरेगा, उस दौरान घरों के दरवाजे बंद रहेंगे। यहां तक कि पुलिस ने काफिला गुजरने तक खिड़कियां भी न खोलने की हिदायत दी है।
कई चीजों पर प्रतिबंधः राष्ट्रपति की सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस प्रशासन ने सख्त इंतजाम किए हैं। अधिकृत पास के बगैर कोई शख्स परिसर में एंट्री नहीं कर सकता। मोबाइल और कैमरा अंदर कोई नहीं ले जा सकेगा। यहां तक कि मीडियाकर्मियों को भी इसकी अनुमति नहीं है। 11 से अधिक आईपीएस की निगरानी में फोर्स सुरक्षा व्यवस्था के लिए लगाई गई है। राष्ट्रपति के शहर में रहने तक अलीगढ़ को निजी विमानों के लिए नो फ्लाइंग जोन घोषित किया गया है। राष्ट्रपति दिल्ली से चलकर नुमाइश मैदान में 11 बजकर 10 मिनट पर विशेष विमान से उतरेंगे। फिर यहां से करीब एक किमी दूर एएमयू के एथलेटिक्स ग्राउंड में समारोह होगा। कुलपति डॉ. तारिक मंसूर के निर्देशन में एक दिन पूर्व मंगलवार को दीक्षांत समारोह की रिहर्सल हुआ।
बग्घी से नहीं जाएंगे राष्ट्रपतिः राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद दीक्षांत समारोह पर ऐतिहासिक बग्घी से नहीं, कार से जाएंगे। 1986 के दीक्षा समारोह में आए तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने भी सुरक्षा कारणों से बग्घी का इस्तेमाल नहीं किया था। परंपरा के मुताबिक कुलपति आवास से बग्घी में समारोह स्थल तक ले जाया जाता है। सुरक्षा कारणों से एजेंसियों ने अनुमति नहीं दी। समारोह स्थल पर पॉलिस्टर तंबू से भी परहेज है।
विरोध करने वालेमयू छात्र पाबंदः राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का विरोध करने वाले विश्वविद्यालय के छह छात्रों को सिविल लाइंस पुलिस ने पाबंद कर दिया है। इसमें पूर्व छात्रसंघ उपाध्यक्ष नदीम अंसारी, राऊ फराज, आमिर आदि शामिल हैं। इन छात्रनेताओं ने राष्ट्रपति को काले झंडे दिखाने की धमकी दी थी। उन्होंने कहा था कि वे राष्ट्रपति की कुर्सी का विरोध नहीं कर रहे हैं बल्कि उनकी संघी मानसिकता का विरोध कर रहे हैं। छात्र संगठनों का विरोध राष्ट्रपति की ओर से 2010 में दिए एक बयान पर है, जिसमें उन्होंने मुसलमानों को कथित तौर पर विदेश बताया था। छात्रनेताओं ने राष्ट्रपति से माफी मांगने की शर्त रखते हुए कहा कि या तो वह ऐसा करें नहीं तो दीक्षांत समारोह में आने का फैसला रद्द करें।