राहुल के सामने 3 प्रदेश अध्यक्षों ने दिया प्रजेंटेशन, 2 गठजोड़ के पक्ष में पर तीसरे ने कहा- एकला चलो
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस साल के अंत तक होने वाले विधान सभा चुनावों के लिए संबंधित राज्यों में समान विचारधारा वाले दलों से गठबंधन की संभावनाओं पर शनिवार (14 जुलाई) को पार्टी नेताओं के साथ बैठक की। बैठक में राहुल ने सभी प्रदेश अध्यक्षों से 15 दिनों के अंदर चुनावी गठजोड़ की संभावनाओं पर विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा है। इस बैठक में मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ, राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष सचिन पायलट और छत्तीसगढ़ कांग्रेस के अध्यक्ष भूपेश बघेल के अलावा तीनों राज्यों के प्रभारी और महासचिव भी मौजूद थे। तीनों प्रदेश अध्यक्षों ने राष्ट्रीय अध्यक्ष को विस्तृत रिपोर्ट पेश किया और राजनैतिक स्थिति से अवगत कराया। तीनों प्रदेश अध्यक्षों ने कहा कि राज्य में बीजेपी सरकार के खिलाफ एंटी इनकम्बेंसी फैक्टर है। तीनों प्रदेश अध्यक्षों ने बीजेपी के खिलाफ जनता को लामबंद करने की कार्ययोजना के बारे में राहुल को बताया। राहुल ने बीजेपी के खिलाफ जबर्दस्त और आक्रामक ढंग से चुनावी कैम्पेन चलाने की सलाह दी है। माना जा रहा है कि अगले महीने से खुद राहुल गांधी भी चुनावी कैम्पेन में कूदेंगे।
मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी दीपक बाबरिया और प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने राज्य में बसपा और गोंडवाणा गणतंत्र पार्टी से गठजोड़ की संभावनाओं पर बल दिया है जबकि राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट ने राज्य में अकेले चलने की बात कही है। वो चुनाव पूर्व किसी भी तरह के गठबंधन के खिलाफ हैं। पायलट का मानना है कि राजस्थान में कांग्रेस अपने बूते सरकार बना सकती है। छत्तीसगढ़ कांग्रेस प्रभारी पी एल पुनिया ने ‘द टेलीग्राफ’ से कहा कि राज्य में बसपा से गठजोड़ की संभावनाओं पर केंद्रीय नेतृत्व फैसला करेगा। बता दें कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस और बसपा के वोट शेयर में बहुत कम अंतर है। साल 2008 के विधान सभा चुनाव में दोनों दलों के बीच 1.7 फीसदी को वोट अंतर था जबकि 2013 के चुनावों में यह अंतर 0.75 फीसदी था। 2008 में बसपा को कुल 6.11 फीसदी और 2013 में 4.27 फीसदी वोट मिले थे जबकि कांग्रेस को 2008 में बीजेपी से 5 फीसदी कम और 2013 में बीजेपी से मात्र 8 फीसदी कम वोट मिले थे। ऐसे में कांग्रेस और बसपा के गठजोड़ से गठबंधन की जीत का आंकड़ा बढ़ सकता है।
मध्य प्रदेश में भी बसपा ने साल 2013 के विधान सभा चुनाव में चार सीटों पर जीत दर्ज की थी और कुल 6.29 फीसदी वोट पाया था। इससे पांच साल पहले यानी 2008 में बसपा ने कुल सात सीटों पर जीत दर्ज की थी और कुल 8.97 फीसदी वोट पाए थे। कांग्रेस को 2013 में बीजेपी से 8 फीसदी और 2013 में 5 फीसदी कम वोट मिले थे। यानी कांग्रेस और बसपा ने मध्य प्रदेश में गठजोड़ कर लिया तो बीजेपी के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं।