राहुल को कैलाश मानसरोवर यात्रा की अनुमति नहीं? मंत्रालय ने कहा- हमसे पूछा ही नहीं
कांग्रेेेस पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जाना चाहते हैं। लेकिन इसके लिए उन्होंने अभी तक विदेश मंत्रालय को आवेदन नहीं सौंपा है। इस पूरे मामले में कांग्रेस पार्टी सरकार पर हमलावर है। कांग्रेस का आरोप है कि सरकार नहीं चाहती है कि राहुल गांधी कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जाएं। इसीलिए सरकार गलतबयानी कर रही है।
विशेष श्रेणी में आवेदन का दावा: समाचार पत्र नेशनल हेराल्ड की वेबसाइट ने कांग्रेस के सूत्रों के हवाले से लिखा है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कैलाश मानसरोवर की यात्रा करने के लिए आम नागरिकों के लिए तय किए गए समय में अपना आवेदन नहीं किया है। लेकिन उन्होंने विशेष अनुमति के लिए आवेदन जरूर किया है। ये आवेदन आमतौर पर संसद सदस्यों के लिए मान्य होता है। लेकिन अभी तक विदेश मंत्रालय ने उनके इस आवेदन का कोई भी जवाब नहीं दिया है।
नहीं मिला है कोई आवेदन: वहीं विदेश मंत्रालय ने साफ तौर पर कहा है कि उन्हें कांग्रेस अध्यक्ष की तरफ से कोई आवेदन नहीं मिला है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने बताया,”कैलाश मानसरोवर यात्रा 12 जून से शुरू हो चुकी है। यात्रा के लिए आवेदन मार्च-अप्रैल के महीने में करने होते हैं। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का कोई भी आवेदन अभी तक मंत्रालय को नहीं मिला है। उन्होंने यात्रा की घोषणा जरूर की थी लेकिन आवेदन नहीं दिया है।”
दिल्ली में की थी यात्रा की घोषणा: वैसे बता दें बीते 27 अप्रैल को कर्नाटक विधानसभा चुनावों में प्रचार के वक्त हुबली जाते समय राहुल गांधी का हेलीकॉप्टर खराब हो गया था। इस हादसे में राहुल गांधी बाल-बाल बचे थे। इसके बाद 29 अप्रैल को दिल्ली में आयोजित एक जनसभा में राहुल गांधी ने कहा था कि कर्नाटक चुनाव के बाद वो कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जाएंगे। उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं से 10—15 दिन की छुट्टी भी मांगी थी।
ये यात्रा है सबसे दुर्गम: कैलाश मानसरोवर की यात्रा भारत की सबसे दुर्गम तीर्थयात्राओं में से एक है। भारतीय विदेश मंत्रालय हर साल जून से सितंबर के बीच यात्रा का आयोजन करता है। तीर्थ यात्री जिस कैलाश पर्वत का दर्शन करने जाते हैं, वो तिब्बत में है। जहां चीनी प्रशासन की अनुमति यात्रा से पहले लेनी पड़ती है।
दो रास्तों से होती है यात्रा: कैलाश मानसरोवर की यात्रा 2 रास्तों से होती है। पहला रूट उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रे का है जबकि दूसरा रूट सिक्किम के नाथुला दर्रे का है। लिपुलेख दर्रे से होने वाली यात्रा में लगभग 24 दिन जबकि नाथुला दर्रे से यात्रा करने में 21 दिन का वक्त लगता है। साल 2017 में नाथुला दर्रा बंद होने की वजह से यात्रियों को भारी परेशानी उठानी पड़ी थी। लेकिन इस बार विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने नाथुला दर्रे के खुले होने की जानकारी दी है।