राहुल ने संभाली कांग्रेस की विरासत, हिंसा और गुस्से की राजनीति से लड़ने का आह्वान किया

राहुल गांधी ने 132 साल पुरानी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष पद की कमान संभाल ली। करीब 19 साल तक पार्टी का नेतृत्व करने वाली उनकी मां सोनिया गांधी ने राहुल के हाथों में पार्टी की बागडोर सौंपी। जोरदार जश्न और विहंगम समारोह के बीच हुए नेतृत्व परिवर्तन के इस ऐतिहासिक मौके पर राहुल ने अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व भाजपा पर करारा हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी देश को मध्यकाल में ले जा रहे हैं और उनके कार्यकाल में आग व नफरत की सियासत तेज हो गई है। उन्होंने पार्टी के कलेवर में बदलाव के संकेत देते हुए कहा कि पार्टी को हिंदुस्तान की ग्रैंड ओल्ड एंड यंग पार्टी बनाने जा रहे हैं। कांग्रेस के 24 अकबर रोड स्थित मुख्यालय में शनिवार को आयोजित भव्य समारोह में पार्टी के मुख्य निर्वाचन प्राधिकरण (सीईए) के अध्यक्ष एम. रामचंद्रन ने सोनिया गांधी व पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह की मौजूदगी में उन्हें पार्टी अध्यक्ष पद पर निर्वाचित होने का प्रमाणपत्र सौंपा। इसी के साथ औपचारिक रूप से वह पार्टी के अध्यक्ष बन गए। 47 वर्षीय राहुल कांग्रेस के 88वें अध्यक्ष बने हैं। यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभालने वाले वे नेहरू-गांधी परिवार के छठे व्यक्ति हैं। राहुल ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि आज भाजपा के लोग पूरे देश में आग और हिंसा फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि इसे रोकने के लिए देश में एक ही शक्ति है – कांग्रेस के नेता व कार्यकर्ता।

उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस भारत को 21वीं शताब्दी में ले गई जबकि प्रधानमंत्री हमें पीछे ले जा रहे हैं, मध्यकाल में ले जा रहे हैं। जहां लोगों को अलग खानपान, अलग मत रखने के लिए मार दिया जाता था। उन्होंने कांग्रेस कार्यकर्ताओं व नेताओं को आश्वासन दिया कि वह पार्टी को हिंदुस्तान की ग्रैंड ओल्ड एंड यंग पार्टी बनाने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस क्रोध और गुस्से की राजनीति से लड़ेगी और उसे हराएगी। उन्होंने कहा कि वह चाहते हैं कि कांग्रेस सभी भारतीय लोगों के बीच संवाद का माध्यम बने और इस संवाद को सदा ही प्रेम व स्नेह की ओर अग्रसर होना चाहिए। राहुल ने कहा कि मुझे पता चला कि जैसे ही आप गरीबों के साथ खड़े होकर शक्ति के तंत्र को चुनौती देते हैं, जिस क्षण आप यह गरीबों के साथ खड़े होने की घोषणा करते हैं, आपको पराजित करने के लिए आप पर हमला होता है। आप पर सभी मोर्चों से प्रहार होते हैं। वे झूठ और विकृत (बातें) बोलते हैं। आज भारत में जो लोग सत्ता में हैं, वे उस तंत्र के माध्यम से बने हैं जो भारत को गरीब रखता है। राहुल ने वर्तमान हालात का उल्लेख करते हुए कहा कि हमारा देश, जिसका दर्शन व इतिहास प्रेम व करुणा से जन्मा है, इस तरह की भयावहता से घायल है और हमारे इस महान देश को हुए इस नुकसान की भरपाई कितनी भी बार गले लगाने से नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि इस तरह की प्रतिगामी ताकतें इसलिए नहीं जीततीं क्योंकि वे सही हैं। वे इसलिए नहीं जीततीं क्योंकि वह सही बात के साथ खड़ी हैं। वे जीतती हैं क्योंकि वे ताकतवर हैं। इस मौके पर पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह, पार्टी के तमाम वरिष्ठ नेता, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सहित हजारों की संख्या में पार्टी कार्यकर्ता मौजूद थे।

‘सोनिया 2019 का चुनाव रायबरेली से लड़ेंगी’

पर्दे के पीछे रहकर अपने भाई राहुल गांधी की सियासी राह के कील-कांटे चुनती आईं प्रियंका गांधी ने साफ कर दिया है कि वे अपनी मां सोनिया गांधी की जगह रायबरेली से लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ेंगी। उन्होंने कि उनकी मां ही फिर से रायबरेली के चुनाव मैदान में उतरेंगी। समझा जा रहा है कि ऐसा कहकर प्रियंका ने राहुल के कार्यकाल में सत्ता के दो केंद्र बनने के कयासों को सिरे से समाप्त कर दिया है। सोनिया गांधी द्वारा रिटायरमेंट का एलान किए जाने और राहुल की अध्यक्ष पद पर ताजपोशी के मद्देनजर सियासी गलियारों में ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि प्रियंका अपने भाई राहुल की सहायता करने के लिए सक्रिय राजनीति में आ सकती हैं। सोनिया के लगातार बीमार रहने के कारण भी ऐसे कयासों को बल मिला। लेकिन प्रियंका ने शनिवार को ऐसी तमाम अटकलों पर विराम लगा दिया। राहुल द्वारा पार्टी मुख्यालय में कांग्रेस अध्यक्ष का दायित्व संभालने के बाद प्रियंका ने कहा-मेरे लड़ने (2019 में) का कोई सवाल नहीं है। मेरी मां वहां (रायबरेली) से लड़ेंगी। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में 19 साल के रिकार्ड कार्यकाल में भारी चुनौतियों का सामना करने के लिए अपनी मां की सराहना करते हुए उन्हें बहुत साहसी महिला बताया।

आपको बता दें कि चाहे कुछ महीने पहले हुए चार राज्यों के चुनावों की तैयारियों में प्रियंका ने पर्दे के पीछे रहकर राहुल की जमकर सहायता की। वे खुद वार रूम में जाकर राहुल की जिम्मेदारी भी संभालती रहीं। कहा जाता है कि पंजाब में नवजोत सिंह सिद्धू को कांग्रेस में लाने में उनकी बेहद महत्वपूर्ण भूमिका रही। लेकिन उन्होंने कभी भी सामने आकर यह दिखाने की कोशिश नहीं की कि असल में वह पार्टी के लिए क्या योगदान दे रही हैं। पार्टी के जानकारों का कहना है कि आने वाले दिनों में राहुल गांधी की सहायता के लिए किसी खास जिम्मेदारी को ग्रहण करें यह और बात है लेकिन फिलहाल वह किसी भी सूरत में पार्टी में कोई पद नहीं लेंगी। इसकी वजह यह बताई जा रही है कि प्रियंका को यह बात अच्छी तरह मालूम है कि ऐसी अटकलों के माध्यम से पार्टी में सत्ता के दो केंद्र बनाने की कोशिश की जा रही है जिससे पार्टी का भला तो नहीं ही होगा, उल्टे राहुल गांधी को इसका नुकसान उठाना पड़ेगा। समझा जा रहा है कि इसी वजह से प्रियंका ने राहुल की ताजपोश के दिन ही साफ कर दिया कि पार्टी में एक ही पावर सेंटर होगा। पार्टी की बागडोर राहुल संभालेंगे और उनकी ही अगुआई में पार्टी आगे चलेगी।

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