रिपोर्टः शासन चलाने में लेफ्ट शासित केरल अव्वल,निचले पायदान पर ये राज्य
देश में सबसे बेहतर गवर्नेंस की बात करें तो केरल देश के बड़ी जनसंख्या वाले राज्यों में टॉप पर है। बता दें कि पब्लिक अफेयर सेंटर ने हाल ही में पब्लिक अफेयर इंडेक्स 2018 की लिस्ट जारी की है। इस लिस्ट के मुताबिक लेफ्ट के शासन वाला राज्य केरल गवर्नेंस के मामले में बड़ी आबादी वाले राज्यों में सबसे बेहतर है। खास बात ये है कि केरल इस लिस्ट में लगातार 3 सालों से टॉप पर बना हुआ है। दक्षिण भारतीय राज्यों ने इस लिस्ट में अपना पूरा दबदबा बनाया है। गौरतलब है कि इस लिस्ट में दूसरा स्थान जहां तमिलनाडु को मिला है। वहीं तीसरे और चौथे नंबर पर भी दक्षिण भारतीय राज्यों क्रमशः तेलंगाना और कर्नाटक का दबदबा है। अपने विकास मॉडल के लिए चर्चा में रहा गुजरात इस लिस्ट में पांचवे नंबर पर है।
साल 2016 से शुरु हुई पब्लिक अफेयर इंडेक्स 2018 (पीएआई) की रिपोर्ट के अनुसार, गवर्नेंस के मामले में मध्य प्रदेश, झारखंड और बिहार की स्थिति सबसे बुरी है और ये सबसे निचले पायदान पर हैं। पीएआई की यह रिपोर्ट राज्य में सामाजिक और आर्थिक असमानताओं की ओर इशारा करती है। पीएआई की रिपोर्ट राज्यों की रैंकिंग गवर्नेंस परफॉर्मेंस, सामाजिक और आर्थिक डाटा बेस फ्रेमवर्क के आधार पर तय करती है। पब्लिक अफेयर सेंटर नामक थिंक टैंक की स्थापना साल 1994 में मशहूर अर्थशास्त्री और स्कॉलर सैमुअल पॉल ने की थी।
वहीं छोटे राज्य (2 करोड़ से कम आबादी वाले राज्य) में हिमाचल प्रदेश बेहतर गवर्नेंस के मामले में सबसे बेहतर साबित हुआ है। इसके बाद गोवा, मिजोरम, सिक्किम और त्रिपुरा का नंबर आता है। नागालैंड, मणिपुर और मेघालय इस लिस्ट में सबसे निचले पायदान पर हैं। पीएआई ने इस बार बच्चों के रहने के हिसाब से बेहतर राज्यों का भी चयन किया है, जिसमें केरल और हिमाचल ने यहां भी बाजी मारी है। नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स की पूर्व चेयरपर्सन शांता सिन्हा का कहना है कि “यदि बच्चे गरीबी में पल रहे हैं तो उस स्थिति के लिए बच्चों को जिम्मेदार नहीं ठहाराया जा सकता बल्कि उसकी जिम्मेदारी राज्य सरकार की है। राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बच्चों को अच्छा जीवन जीने के लिए सभी सुविधाएं मिल रही हों।”