रिपोर्ट में दावा: पश्चिम बंगाल रोहिंग्या मुसलमानों का नया ठिकाना, दक्षिण 24 परगना में बना नया रिफ्यूजी कैंप

जम्मू के बाद रोहिंग्या मुसलमान पश्चिम बंगाल को नया ठिकाना बनाते जा रहे हैं। पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता से महज 40 किलोमीटर दूर अवैध रोहिंग्याओं के लिए एक नया रिफ्यूजी कैंप बनाया गया है। अंग्रेजी वेबसाइट इंडिया टुडे ने यह दावा किया है। यहां पर म्यांमार के राखिन प्रांत से आए 29 रोहिंग्या मुसलमानों को 16 अस्थायी कमरों में बसाया गया है। यह इलाका दक्षिण 24 परगना के बरुईपुर पुलिस स्टेशन के हरदा गांव में पड़ता है। इन्हें निजी जमीन पर बसाया गया है। यहां पर यह लोग एक महीने से ज्यादा वक्त से रहते आ रहे हैं। बता दें कि नरेंद्र मोदी सरकार ने राज्य सरकारों को स्पष्ट आदेश दे रखा है कि अवैध रोहिंग्या प्रवासियों की पहचान कर उन्हें वापस उनके देश भेजा जाए। बता दें कि ममता बनर्जी सरकार ने कहा है कि रोहिंग्या आतंकवादी नहीं है, लेकिन सुरक्षा बलों ने आशंका जताई है कि राज्य में रोहिंग्या बड़ी संख्या में आ रहे हैं और यह ट्रेंड सुरक्षा व्यवस्था के लिए खतरनाक हो सकता है।

रिपोर्ट के मुताबिक इस शेल्टर को एक गुमनाम से एनजीओ ने बनाया है। इस एनजीओ का नाम देश बचाओ सामाजिक कमेटी है। यहां पर टिन और बांस के जरिये कमरे बनाये गये हैं। इस एनजीओ को हुसैन गाजी नाम का शख्स चलाता है। दिन में यहां रोहिंग्या मुस्लिम काम खोजने शहर की ओर चले जाते हैं जबकि घरों में बच्चे और महिलाएं दिखती हैं, इस कैंप में दो महीने की उम्र के बच्चे भी देखने को मिले।हुसैन गाजी ने कहा कि उसने मानवता के आधार पर यह कैंप शुरू किया है। इस शख्स ने कहा कि पिछले साल वह बांग्लादेश का कॉक्स बाजार गया था। वहां पर रोहिंग्या मुसलमानों की हालत देखने के बाद उसे यह फैसला किया।

हालांकि हुसैन गाजी यह नहीं बता सका कि ये रोहिंग्या बांग्लादेश से भारत कैसे आए, लेकिन उसका कहना है कि बालिग रोहि्ंग्याओं के पास UNHCR के वैध कार्ड है और स्थानीय पुलिस को भी इसके बारे में जानकारी है। बरुईपुर के एसपी अरिजित सिन्हा कहना है कि उन्हें इस शेल्टर के बारे में जानकारी है, और इन सभी के पास वैध दस्तावेज हैं। पुलिस के मुताबिक यह रिफ्यूजी संयुक्त राष्ट्र से मान्यता प्राप्त हैं और इन्हें पासपोर्ट और वीजा की जरूरत नहीं है।

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